प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक आईएएस अफसर (मोदी सरकार में डायरेक्टर पद पर तैनात) ने चिट्ठी लिखकर मल्टीनेशनल कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी (ग्लोबल ऑडिट, टैक्स एंड अडवाइजरी फर्म) में कथित तौर पर भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि इस भ्रष्टाचार में कई बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारी शामिल हैं. यह अधिकारी केंद्र सरकार से लेकर कई राज्यों में तैनात हैं. कई अधिकारी तो मंत्रालयों में बड़े ओहदों पर तैनात हैं. आरोप है कि यह अफसर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस बहुराष्ट्रीय कंपनी में अपने बच्चों और रिश्तेदारों को बड़े पदों पर नौकरी पर रखवा रहे हैं. इसके एवज में अधिकारियों द्वारा फर्म को बड़े प्रोजेक्ट्स दिलाए जा रहे हैं. इसके साथ ही केपीएमजी द्वारा सरकारी योजनाओं में अमेरिकी कंपनियों की सिफारिश की जा रही है जो इस कथित भ्रष्टाचार का ही हिस्सा है. शिकायतकर्ता IAS अधिकारी ने साथी ब्यूरोक्रैट्स द्वारा उत्पीड़न के डर से पत्र में खुद का नाम उजागर नहीं किया है.
नई दिल्लीः एक आईएएस अफसर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मल्टीनेशनल कंसल्टिंग फर्म ‘केपीएमजी’ में कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. चिट्ठी लिखने वाले अज्ञात आईएएस अफसर ने खुद को केंद्र सरकार में डायरेक्टर पद पर तैनात बताया. आईएएस अफसर का आरोप है कि केपीएमजी (ग्लोबल ऑडिट, टैक्स एंड अडवाइजरी फर्म) में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है. केंद्र और राज्य सरकार में तैनात आईएएस अफसर केपीएमजी अधिकारियों के साथ मिलकर इसे अंजाम दे रहे हैं. आईएएस अफसर ने यह भी आरोप लगाया कि यह अधिकारी अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए इस बहुराष्ट्रीय कंपनी में अपने बच्चों और रिश्तेदारों को ही नौकरी पर रखवा रहे हैं, जोकि सरासर गलत है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईएएस अफसर द्वारा 5 जनवरी को यह खत लिखा गया है. खत लिखने वाले अज्ञात आईएएस अफसर चाहते हैं कि प्राइवेट फर्म में ब्यूरोक्रैट्स द्वारा हो रहे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पीएम मोदी संज्ञान लें और कार्रवाई के निर्देश दें. सूत्रों के अनुसार, आधिकारिक तौर पर इस खत की सत्यता की पुष्टि हो गई है. बताया जा रहा है कि पिछले कुछ हफ्तों से यह चिट्ठी सरकारी महकमों में चर्चा का विषय बनी हुई है. खत लिखने वाले आईएएस अधिकारी ने अपने साथी ब्यूरोक्रैट्स द्वारा उत्पीड़न के डर से पत्र पर अपना नाम जाहिर नहीं किया है.
आईएएस अधिकारी की मानें तो केपीएमजी के अधिकारियों ने सरकार में तैनात एक सचिव स्तर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से संपर्क किया था. कंपनी के अधिकारियों ने बड़े प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए उन्हें रिश्वत की पेशकश दी थी. आईएएस अधिकारी ने रिश्वत लेने से इनकार कर दिया. हालांकि केपीएमजी अधिकारियों की केंद्र और राज्य सरकार में तैनात IAS और IPS अधिकारियों के बीच पैठ के चलते उन्होंने इसकी शिकायत नहीं की. उन्होंने बताया कि इसी सांठगांठ के चलते कई ब्यूरोक्रैट्स के बच्चे और रिश्तेदार केपीएमजी में बड़े पदों पर नौकरी कर रहे हैं और उन्हें उनकी योग्यता से बढ़कर काफी अधिक वेतन दिया जा रहा है.
शिकायत करने वाले अधिकारी ने इस खत में 9 सीनियर ब्यूरोक्रैट्स के नाम भी दिए हैं, जिनके बच्चे और रिश्तेदार केपीएमजी में कार्यरत हैं. इस लिस्ट में गृह मंत्रालय में तैनात एक प्रभावशाली IAS अधिकारी के बेटे का भी नाम है जो इससे पहले झारखंड सरकार में बड़े पद पर रह चुके हैं. लिस्ट में बताया गया है कि इसी मंत्रालय में तैनात एक अन्य सचिव के भांजे ने भी केपीएमजी में बड़े पद पर इसी तरह से नौकरी पाई है. लिस्ट में मंत्रालयों से जुड़े रहे कई पूर्व IAS अधिकारियों के भी नाम शामिल हैं. लिस्ट में एक ऐसे बड़े अधिकारी का भी नाम शामिल है जो पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े हुए हैं.
इस लिस्ट में गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना कैडर के आईएएस अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिस समय इन ब्यूरोक्रैट्स के बच्चों और रिश्तेदारों को केपीएमजी द्वारा नौकरी पर रखा गया वह सभी किसी मंत्रालय या फिर बड़े पद पर तैनात रहे. इसके एवज में संबंधित विभागों द्वारा केपीएमजी को कई बड़े प्रोजेक्ट्स दिए गए. पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि कथित फर्म कई सरकारी परिजयोजनाओं से भी जुड़ी है, जिसमें 5000 करोड़ रुपये का कुल खर्च शामिल है. खत में केपीएमजी के भारत प्रमुख अरुण कुमार जो पूर्व में अमेरिका में कई बड़े पदों पर रह चुके हैं, पर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि देश की सरकारी परियोजनाओं के लिए कॉन्ट्रैक्ट वर्क में वह अमेरिकी फर्म्स की सिफारिश किया करते थे.
आईएएस अफसर ने आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका की कई मल्टीनेशनल कंसल्टिंग फर्म्स को सरकार की 3 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को दिया गया. इसकी जांच में साफ हो जाएगा कि देश के करीब 100 ब्यूरोक्रैट्स के बच्चे इन मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं. केपीएमजी के साथ-साथ अन्य कई कंसल्टिंग फर्म्स भी इसमें शामिल हैं. आईएएस अफसर ने पत्र में लिखा कि वह भी पीएम मोदी की उस बात (न खाऊंगा और न खाने दूंगा) से सहमति जताते हैं जो उन्होंने एक जनसभा में कही थी. उन्होंने कहा कि वह कसम खाते हैं कि भ्रष्टाचार (सरकारी और गैर-सरकारी) के खिलाफ इस लड़ाई में वह भी पीएम के साथ हैं. अधिकारी ने उम्मीद जताते हुए लिखा कि उन्हें विश्वास है कि पीएम मोदी इस शिकायत पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश देते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करेंगे.
आईएएस अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों पर जब केपीएमजी अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने इन आरोपों को तथ्यहीन बताते हुए मनगढ़ंत करार दिया. केपीएमजी के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी पिछले 25 वर्षों से भी ज्यादा समय से भारत में काम कर रही है. केपीएमजी अपनी पारदर्शिता के लिए पहचानी जाती है. यह पत्र विरोधी फर्म्स द्वारा उनकी छवि को बदनाम करने के लिए लिखा गया है. साथ ही पत्र में दिए गए फैक्ट्स पूरी तरह से गलत हैं. केपीएमजी प्रवक्ता ने कहा कि उनकी फर्म में मेरिट के आधार पर ही कैंडिडेट्स का चयन होता है. इसमें पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाती है. केपीएमजी हेड अरुण कुमार पर लगाए गए आरोपों पर उन्होंने कहा कि अरुण कुमार अमेरिका में अपना शानदार कैरियर छोड़कर भारत की सेवा के लिए यहां आए. कंपनी के साथ उनके जुड़ने का एकमात्र मकसद देश की तरक्की है. अरुण कुमार पर इस तरह के आरोप लगाना बेहद निंदनीय है.
बताते चलें कि केपीएमजी दुनिया के सबसे बड़े अकाउंटिंग और फाइनेंशियल कंसल्टैंसी नेटवर्क में गिनी जाने वाली 4 कंपनियों अर्न्स्ट एंड यंग, पीडब्लयूसी और डेलोइट में से एक है. यह सभी मल्टीनेशनल कंसल्टिंग फर्म्स भारत में भी कारोबार करती हैं.
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