नई दिल्ली. ऐसा सवाल उठ रहा है जो 71 साल बाद दुनिया को विश्वयुद्ध का डर दिखा रहा है. इसमें एक तरफ चीन और उसके कुछ नापाक सहयोगी हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका और साथी देश हैं.
अभी तक दुनिया की तमाम गुटबाजी से खुद को अलग रखने की कोशिश करने वाला भारत भी इस बार चाहे-अनचाहे इस टकराहट में शरीक है.
बता दें कि लड़ाई 7 ट्रिलियन डॉलर की है लेकिन धीरे-धीरे वो नाक की लड़ाई बनती जा रही और यहीं से एक डर दुनिया को दिखने लगा है. सवा है कि कहीं दक्षिण चीन सागर यानी साउथ चाइना सी से फूटी चिंगारी पूरी दुनिया को थर्ड वर्ल्ड वार की भयंकर आग में ना झोंक दे.
दरअसल, साउथ चाइना सी पर चीन के अड़ियलपन और एक तरह के सनकीपन ने हालात को और खतरनाक बना दिया है. इस विवाद पर संयुक्त राष्ट्र के ट्राइब्यूनल ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला दिया और उसने कहा कि साउथ चाइना सी में जिन द्वीपों पर चीन अपना कब्जा बता रहा है वो फिलिपिंस के हैं और चीन की ऐसी विस्तारवादी नीति ठीक नहीं है.
लेकिन चीन ने इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया और ये साफ कह दिया कि साउथ चाइना सी में जितने हिस्से को वो अपना कह रहा है वो उसी के हैं. दूसरी तरफ अमेरिका जैसे देश हैं जो चीन को हर हाल में पीछे हटाने की कूटनीति-रणनीति में जुटे हैं उनका मानना है कि चीन को अगर अभी पीछे नहीं हटाया गया तो वो फिर उसे रोकना मुश्किल हो जाएगा.
मतलब कुल मिलाकर 11 देश इस साउथ चाइना सी के चारों ओर खड़े हैं, जिनमें 10 देशों को खुले तौर पर अमेरिका का साथ है दूसरी तरफ चीन है. अब सवाल ये उठता है कि विवाद कहां है और क्यों है.
इंडिया न्यूज की खास पेशकश ‘अर्धसत्य’ में मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत आपको बताएंगे की साउथ चाइना सी से फूटी चिंगारी के पीछे की वजह क्या है. साथ ही इसका पूरे विश्व पर क्या असर हो रहा है और इसके खतरनाक परिणाम क्या हो सकते हैं.
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