एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कुछ देशों में छह साल में 15 ऐसे पत्रकारों की हत्या हो चुकी है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर रहे थे. इस मामले में भारत की तुलना फिलीपींस और मालदीव जैसे देशों के साथ की गई है और कहा गया है कि इस मामले में ये देश अपने क्षेत्र में बहुत ही खराब हैं. भ्रष्टाचार के मामले में इन देशों के अंक ऊंचे हैं और इनमें प्रेस की आजादी अपेक्षाकृत कम और यहां पत्रकारों की हत्याएं भी ज्यादा हुई हैं.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के साथ ही भ्रष्टाचार से लड़ने की बात कही थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट सारे दावों को फेल बता रही है. ट्रांसपेरैंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट की मानें तो भ्रष्टाचार के मामले में सरकारी क्षेत्र की छवि अभी भी दुनिया की नजर में खराब है. हालांकि 2015 की तुलना में सुधार हुआ है. ट्रांसपेरैंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट ग्लोबल करप्शन इंडेक्स-2017 में भारत को 81वें स्थान पर रखा गया है. इससे पहले भारत 79वें स्थान पर था.
यह सूचकांक सरकारों को भ्रष्टाचार के खिलाफ सशक्त संदेश देने के उद्देश्य से 1995 में शुरू किया गया था. इसमें180 देशों की स्थित का आंकलन किया गया है. यह सूचकांक विश्लषकों, कारोबारियों और विशेषज्ञों के आकलन और अनुभवों पर आधारित बताया जाता है. इसमें 0 से 100 अंक दिये जाते हैं. 0 अंक सबसे खराब के लिए और 100 अंक सबसे अच्छे प्रदर्शन के लिए होता है.
इसके अलावा ट्रांसपेरैंसी इंटरनेशनल ने कहा कि एशिया पैसिफिक के कुछ देशों में पत्रकार, एक्टिविस्ट, विपक्षी नेता और यहां तक कि जांच एजेंसियों को भी धमकाया जाता है. कुछ मामलों में तो हत्या भी कर दी गई है. इस मामले में इंडिया, मालदीव और फिलीपींस की स्थिति काफी खराब है. रिपोर्ट में कमिटी टु प्रॉटेक्ट जर्नलिस्ट्स का हवाला देते हुए कहा गया है कि इन देशों में छह साल में 15 ऐसे पत्रकारों की हत्या हो चुकी है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर रहे थे. इस लिस्ट में न्यूजीलैंड और डेनमार्क 89 और 88 अंक के साथ सबसे ऊपर हैं. वहीं सीरिया, सूडान और सोमालिया क्रमश: 14, 12 और 9 अंक लेकर सबसे नीचे हैं.
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