गांधीजी ने अपनी आत्मकथा में अपने बाल विवाह के बारे में भी कई दिलचस्प कहानियां लिखी हैं. उन्होंने लिखा है कि कैसे उनकी कस्तूरबा से पहले भी 2 लड़कियों से सगाई हुई, वो भी केवल 7 साल की उम्र तक, लेकिन दोनों ही लड़कियों की कम उम्र में मौत हो गयी.
नई दिल्ली. गांधीजी की शादी काफी कम उम्र में हो गयी थी, उन दिनों बाल विवाह का प्रचलन था. गांधी जी की उम्र विवाह के वक़्त महज 13 साल रही होगी, जबकि कस्तूरबा की उम्र तो पूरी 11 की नहीं होगी. ऐसे में आपके लिए ये चौंकाने वाली बात ही सकती है कि इतनी कम उम्र में भी गांधीजी की कस्तूरबा से पहले 2 लड़कियों से सगाई हो चुकी थी. इतना ही नहीं शादी के बाद गांधीजी एकदम पति वाली भूमिका में आ गए थे और बा पर तमाम तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए थे.
गांधीजी ने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में अपने जीवन के तमाम तरह के प्रयोगों के बारे में लिखा है, जिनमें देसी उपचारों से लेकर ब्रह्मचर्य तक के उनके प्रयोग शामिल हैं. इसी किताब में गांधीजी ने अपने बाल विवाह के बारे में भी कई दिलचस्प कहानियां लिखी हैं. उन्होंने लिखा है कि कैसे उनकी कस्तूरबा से पहले भी 2 लड़कियों से सगाई हो चुकी थी, वो भी केवल 7 साल की उम्र तक, लेकिन दोनों ही लड़कियों की कम उम्र में ही मौत हो गयी.
शायद गांधीजी की किस्मत में कस्तूरबा ही लिखी थीं. गांधीजी के पिता राजकोट में दीवान थे. उन्होंने मोहनदास के लिए तीसरी लड़की पसंद की और सगाई कर दी. पहले तो तय हुआ कि तीनों लड़कों की एक ही मंडप में एक ही दिन शादी कर देते हैं. लेकिन बाद में केवल 2 भाईयों की ही हुई. गांधीजी के पिता बैलगाड़ी से जब राजकोट से पोरबंदर आ रहे थे, गाडी पलटने से उन्हें काफी छीटें आयीं. 5 दिन की यात्रा के आखिरी दिन ये हुआ. हालांकि गांधीजी की शादी नहीं टली, वैसे भी गांधीजी लिखते हैं कि शादी के आनंद में वो पिताजी का भी दुःख भूल गए.
गांधीजी पत्नी के लिए कस्तूरबाई लिखा करते थे, जब वो घर में आईं, तो दोनों ही एक दूसरे से काफी शरमाते और डरते थे. धीरे धीरे दोनों बालक आपस में घुल मिल गए. लेकिन गांधीजी को अचानक ये लगने लगा था कि अगर वो एक स्त्रीवाद में यकीन करते हैं तो उनकी पत्नी को भी एक एकपति व्रत का पालन करना चाहिए. इसलिए गांधीजी ने अब पत्नी पर तमाम तरह के प्रतिबन्ध थोपने की कोशिश की, जैसे कहीं भी बिना अनुमति के न जाये, वो कहाँ जा रही है ये उनको पता ही होना चाहिए आदि.
लेकिन उनकी पत्नी कोई वयस्क तो थीं नहीं जो उस वक़्त प्रचलित पति परमेश्वर वाली अवधारणा मानतीं. वो तो इसे कैद मानतीं और गांधीजी की कई बातों को नकार देतीं, दोनों में इससे झगड़ा भी होता. हालाँकि ये सारी बातें गांधीजी ने खुद बताई हैं कि वो कैसे थे. साथ हु उन्हीने ये भी लिखा है कि कोई ये न सोचे की ऐसी घटनाओं से हमारे रिश्ते ख़राब हो जाते थे. वो तो उस उम्र की सहज सोच और भावनाएं थीं.
गांधीजी की पत्नी निरक्षर थीं, और विवाह के वक़्त वो खुद हाई स्कूल में पढ़ रहे थे. उनकी दिली ख्वाहिश थी की वो अपनी पत्नी को पढ़ाएं. लेकिन दिन में वो पढाई करवा नहीं सकते थे क्योंकि घरवालों के सामने काठियावाड में पत्नी से बात तक करना मुश्किल था और रात में वो पत्नी से प्रेम वार्ता में ही व्यस्त हो जाते थे. गांधीजी बैरिस्टर बन गए तो फिर ये कोशिश की, दक्षिण अफ्रीका प्रवास में भी कोशिश की लेकिन गांधीजी की बाहर के कामों में और कस्तूरबा की बच्चों और घर के कामों में व्यस्तता के चलते वो पढ़ ही नहीं पायीं, केवल गुजराती में पत्र पढ़ना आदि ही सीख पायीं थीं लेकिन एक वही थीं जो गांधीजी को सबसे ज्यादा समझतीं थीं.
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