सुप्रीम कोर्ट ने जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण कोटे में शामिल करने के लिए पूर्व यूपीए सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना को रद्द कर दिया. कोर्ट के अनुसार जाटों को आरक्षण की जरूरत नहीं है. जस्टिस रंजन गोगोई और रोहिंटन फली नरीमन की पीठ ने कहा, 'हम इससे सहमत नहीं हो सकते कि राजनीतिक दृष्टि से संगठित जाट पिछड़ा वर्ग में आते हैं और इसलिए इसके तहत आरक्षण के हकदार हैं.'
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण कोटे में शामिल करने के लिए पूर्व यूपीए सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना को रद्द कर दिया. कोर्ट के अनुसार जाटों को आरक्षण की जरूरत नहीं है. जस्टिस रंजन गोगोई और रोहिंटन फली नरीमन की पीठ ने कहा, ‘हम इससे सहमत नहीं हो सकते कि राजनीतिक दृष्टि से संगठित जाट पिछड़ा वर्ग में आते हैं और इसलिए इसके तहत आरक्षण के हकदार हैं.’
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जाट जैसी राजनीतिक रूप से संगठित जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करना अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सही नहीं है. हालांकि, इस फैसले के बाद भी नौ राज्यों में स्थानीय नौकरियों में जाटों के लिए आरक्षण लागू रहेगा.