दलित कार्यकर्ता भानु वानकर ने गुरुवार को डीएम ऑफिस के बाहर खुद को आग लगा ली थी. वे जमीन आवंटन के मामले पर प्रशासन से खफा थे. उनकी मौत के बाद प्रदर्शन का दौर जारी है. भानु वानकर जिग्नेश मेवाणी के संगठन के कार्यकर्ता थे.
गांधीनगर. गुजरात के पाटन में दलितों को जमीन आवंटन में देरी के मुद्दे पर आत्मदाह करने वाले दलित कार्यकर्ता भानु वानकर की मौत के बाद राज्य में विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. रविवार को अहमदाबाद के वाडज इलाके में दलितों ने विरोध प्रदर्शन किया. कई जगह पर सड़क जाम की गईं और आगजनी कर प्रदर्शन किया. पाटन में आत्मदाह करने वाले दलित कार्यकर्ता की उपचार के दौरान अस्पताल में मौत हो गई उसके बाद से दलित आक्रोशित हैं. इधर गुजरात सरकार ने आत्मदाह कर चुके दलित कार्यकर्ता भानु वानकर के परिवार वालों की मांगें शनिवार को स्वीकार कर लीं. भानुभाई वानकर ने गुरुवार को डीएम ऑफिस के बाहर आत्मदाह किया था. सरकार ने परिजनों की शर्तें मान ली हैं लेकिन परिजन और अन्य लोग इन मांगों पर तुरंत अमल की मांग पर अड़े हैं.
बता दें कि भानु वानकर एक भूमिहीन दलित खेतिहर मजदूर हेमाबेन वानकर के लिए लड़ रहे थे. हेमाबेन का आरोप था कि साल 2013 में अधिकारियों ने उससे भूखंड के बदले 22,236 रूपये ले लिए थे लेकिन उसे भूखंड नहीं दिया. वानकर हेमाबेन को भूखंड दिलाने के लिए लंबे समय से लड़ रहे थे. जब इसमें उन्हें कोई आस नहीं दिखी तो डीएम ऑफिस के बाहर खुद को आग लगा ली. वे 90 प्रतिशत तक झुलस गए थे.
वानकर के आत्मदाह के बाद उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने संवाददाताओं से कहा कि भूमि परिवार के सदस्य के नाम स्थानांतरित कर दी जाएगी. पटेल ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में एक न्यायिक आयोग बनाएंगे या एक जांच दल बनाएंगे जो मामले की जांच करेगा. यह कदम परिवार के फैसले का हिस्सा होगा. लेकिन सरकार के आश्वासन के बावजूद भी दलित संगठन तुरंत न्याय की मांग कर रहे हैं. भानु वानकर दलित अधिकार मंच के कार्यकर्ता थे जोकि वडनगर से विधायक जिग्नेश मेवाणी का संगठन है. जिग्नेश मेवाणी इस संगठन के संयोजक हैं.
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