फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को फुलेरा दूज त्योहार मनाया जाता है. बसंत और होली के बीच फुलेरा दूज मनाया जाता है. फुलेरा दूज के दिन कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है. इस दिन श्री कृष्ण को गुलाल लगा के फुलरे दूज बनाया जाता है. यह दिन साल का सबसे शुभ दिन होता है. उत्तर भारत में इस दिन विवाह करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
नई दिल्ली. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को फुलेरा दूज त्योहार मनाया जाता है. बसंत से जुड़ा यह त्योहार, खेतों में छाए सरसों के पीले फूलों की तरह सभी के हृदय में बस जाता है. यह उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रचलित है. भगवान कृष्ण एवं राधा के प्रेम का त्योहार है. आज ही के दिन से सूखी होली की शुरुआत हो जाती है एवं होलिका दहन तक गुलाल से होली ब्रज में एवं इसके आस पास के क्षेत्रों में अत्यधिक देखने को मिलती है. उत्तरांचल में भी सूखी होली का विशेष त्योहार बड़े ज़ोर शोर से मनाया जाता है.
आज के दिन कई घरों में आंगन में रंगोली सजाई जाती है जिसे की होली बैठना के रूप में भी माना जाता है. फिर होलिका दहन के दिन छोटे छोटे गोबर के उपलों से होलिका जलाई जाती है. इसकी अग्नि गांव के मुख्य चौपाल पर जो होलिका जलाई जाती है, वहां से अग्नि ला कर समस्त गांव वाले अपने अपने घरों में भी इन उपलों की होलिका जलते हैं. माना जाता है ऐसा करने से घर के समस्त रोग, शोक , क्लेश, चिन्ताएं सभी खत्म होती हैं.
बहुत ही शुभ दिन जिसमें आप कोई भी कार्य बिना किसी संकोच के कर सकते हैं. इसे अबूझ त्योहार भी इसीलिए कहा जाता है. विवाह के लिए तो फुलोरा दूज को अत्यंत ही शुभ माना गया है. राधा कृष्ण के आशीर्वाद की अनुकंपा से इस दिन किया गया विवाह चीरकाल तक उन्ही की तरह प्रेम में बंधा रहता है.
अगर आपके वैवाहिक जीवन में कष्ट एवं अशांति है तो आपको आज के दिन अवश्य राधा कृष्ण का पूजन करना चाहिए. उन्हें गुलाल चड़ाना चाहिए एवं मां ही मन प्रार्थना करनी चाहिए की उनके आशीर्वाद से घर में सुख एवं शांति बनी रहे. किसी भी नए कार्य को करने के लिए भी आज के दिन किसी भी मुहूर्त की ज़रूरत नहीं होती. बस मन बनाइए एवं बिज़्नेस हो या फिर कोई नया प्रोजेक्ट हो, आप उसे शुरू कर सकते हैं एवं आने वाले समय में इनसे शुभ फल भी प्राप्त होंगे.
व्रत की विधि
प्रातः काल उठ कर स्नान आदि कर, राधा कृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर गंगाजल से उसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहना कर, उनका अभिषेक करें. पीली धोती, एवं शृंगार का समान, धूप, दीप, नैवैद्य, फल, फूल चड़ाएं, दूध की बनी मिठाई या फिर मिश्री प्रसाद में अवश्य चड़ाएं, इसके पश्चात, गुलाल से उनका अभिषेक करें.
घर के इष्ट का, कुल गुरु का, बड़े बुजुर्गों का भी अभिनंदन गुलाल के साथ करना चाहिए. स्वयं भी गुलाल माथे पर, गाल पर एवं अगर आप पुरुष हैं तो दाड़ी पर भी लगाना चाहिए. इसके बाद आप आपस में भी गुलाल लगा कर एक दूसरे का अभिनंदन कर सकते हैं. उत्तर भारत के कई स्थानो पर, फूलों द्वारा साज सज्जा की जाती है एवं फूलों से ही होली खेली जाती है. द्वारा पर फूल और चावल चढ़ाएं जाते हैं, ताकि आने वाले सम्पूर्ण वर्ष भर घर में खुशहाली बरसती रहे.
अगर आपका विवाह नहीं हो पा रहा हो तो भी आपको इस दिन व्रत कर यथा विधि पूजन करना चाहिए. नारायण की कृपा से आपकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी. संध्या के समय, पूजन अरचन कर, राधे कृष्ण का मंत्रोचारण के साथ आवाहन करना चाहिए. अगर कोई मंत्र ना समझ में आए तो केवल “राधे राधे” का उच्चारण भी आपके लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा. इस साल ये त्योहार 17 फरवरी से को दिन में 3:56 से शुरू होकर 18 फरवरी 2018 को शाम 4.50 बजे तक है.
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