मुजफ्फरनगर दंगा मामला: बीजेपी नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को वापिस लेने के पक्ष में नहीं है मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन. डीएम और एसएसपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ की नेताओं के खिलाफ मामले वापिस लेने के आदेश का विरोध किया है.
लखनऊ. मुजफ्फरनगर का जिला प्रशासन नेताओं के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों से संबंधित मामले हटाने के पक्ष में नहीं है. इन नेताओं में ज्यादातर बीजेपी के नेता शामिल हैं. मुजफ्फरनगर दंगों में 60 से ज्यादा लोग मारे गए और 40,000 से ज्यादा बेघर हो गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी और एसएसपी बीजेपी नेताओं के खिलाफ दंगों संबंधित मामले वापिस लेने की सीएम योगी आदित्यनाथ की मुहिम के पक्षधर नहीं है.
सूत्रों ने अनुसार मुजफ्फरनगर का जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश न्याय विभाग के दो पत्रों के जवाब में कहा है कि मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े 10 मामलों में यूपी पुलिस और एसआईटी के द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बाद अदालत भी इन मामलों में आरोपियों को दोषी मान चुका है. इन मामलों में यूपी के मंत्री सुरेश राणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान, सांसद भारतेंदू सिंह, विधायक उमेश मलिक और भाजपा नेता साध्वी प्राची के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश न्याय विभाग ने मुजफ्फरनगर जिला मजिस्ट्रेट को दो पत्र लिखकर 13 पॉइंटस पर जानकारी मांगी थी कि क्या सार्वजनिक हित में इन मामलों को वापस लिया जा सकता है. सूत्रों ने अनुसार जिला प्रशासन ने जिला अभियोजन विभाग की सिफारिश पर न्याय के हित में इस प्रस्ताव का विरोध किया है. बता दें कि इस मामले में दोषी आईपीसी की कई धाराओं में दर्ज मामलों का सामना कर रहे हैं.
इन सभी दोषियों ने कथित तौर पर उस ‘महापंचायत’ में भाग लिया था जिसके बाद मुजफ्फरनगर में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क गई थी. अगस्त-सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर और आस-पास के इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा में 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 40,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे.
मुजफ्फरनगर दंगा मामला: बीजेपी नेताओं पर दर्ज केस वापस लेने की तैयारी में योगी आदित्यनाथ सरकार