पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का दौर लगातार जारी है. सोमवार को मुंबई में पेट्रोल 80 रुपये लीटर के आंकड़े को पार कर 81.17 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया, जबकि डीजल की कीमत भी आसमान छूती नजर आईं. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसकी वजह गिनाई.
नई दिल्ली. देश में पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दामों को देखते हुए हाहाकार मचा हुआ है. डीजल और पेट्रोल की कीमतों में लगातार हो रहा है. इस मामले में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण गिनाते हुए इसका ठीकरा राज्य सरकारों के सिर पर फोड़ा है. बता दें कि मुंबई में पेट्रोल की कीमतें लगातार 81 रुपए से उपर बनी हुई हैं.
पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दामों के सवाल पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अक्टूबर 2017 में ही केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कटौती का फैसला किया था. लेकिन सिर्फ चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने इस पर अमल करते हुए पेट्रोल डीजल पर सेल्स टेक्स और वैट कम किया. धर्मेंद्र प्रधान ने एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए ये बातें कहीं.
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का दौर लगातार जारी है. सोमवार को मुंबई में पेट्रोल 80 रुपये लीटर के आंकड़े को पार कर 81.17 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया, जबकि डीजल की कीमत भी आसमान छूती नजर आईं. मुंबई में डीजल के दाम 68.30 रुपए प्रति लीटर पहुंच गए. वहीं दिल्ली में भी पेट्रोल की कीमत 4 साल में सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई. दिल्ली में पेट्रोल 76 रुपये लीटर पहुंचा. माना जा रहा था कि केंद्र सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम पूर्ण बजट में पेट्रोल व डीजल के दामों को कम करने के लिए कुछ ऐलान कर सकती है, लेकिन कीमतें घटने के बजाय लगातार बढ़ रही हैं.
उन्होंने कहा कि अक्टूबर में एक्साइज ड्यूटी कटौती की घोषणा करते हुए केंद्र ने राज्यों से कहा था कि आम आदमी को राहत देने के लिए वैट और सेल्स टैक्स घटाने के बारे में कहा था लेकिल ज्यादातर राज्यों ने केंद्र की सलाह पर ध्यान नहीं दिया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट के दौरान पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाकर 8 की जगह 6 रुपए कर दिया था. लेकिन इसमें दो रुपए सेस जोड़ने की वजह से जनता को किसी भी तरह की कोई राहत नहीं मिली. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय ने वित्त मंत्री से अपील की थी कि बजट में इसके लिए कुछ कदम उठाए जाए और एक्साइज पर राहत दी जाए.
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