केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सुझाव मांगे

केंद्र सरकार ने शनिवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विभिन्न निकायों, संगठनों और व्यक्तियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों से सुझाव मांगे हैं. भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में लंबित है. भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार संशोधन (द्वितीय) विधेयक-2015 को दोनों सदनों की एक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है. इस समिति की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद एस.एस. आहलुवालिया करेंगे.

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केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सुझाव मांगे

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  • May 24, 2015 6:25 am Asia/KolkataIST, Updated 10 years ago

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने शनिवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विभिन्न निकायों, संगठनों और व्यक्तियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों से सुझाव मांगे हैं. भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में लंबित है. भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार संशोधन (द्वितीय) विधेयक-2015 को दोनों सदनों की एक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है. इस समिति की अध्यक्षता पश्चिम बंगाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद एस.एस. आहलुवालिया करेंगे.

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, “इस विषय पर विभिन्न सार्वजनिक संस्थाओं, संगठनों, व्यक्तियों तथा अन्य हितधारकों से सुझाव मांगने का निर्णय लिया गया है.” मौजूदा भूमि विधेयक और संयुक्त प्रगतिशील सरकार (संप्रग) के कार्यकाल के दौरान 2013 में पारित किए गए अधिनियम को लोकसभा की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है.  बयान के मुताबिक, “इस विषय पर समिति को विचार या सुझाव देने के इच्छुक लोग अपने लिखित ज्ञापन अथवा सुझाव की अंग्रेजी या हिंदी में लिखी हुई दो प्रतियों को आठ जून तक लोकसभा सचिवालय के संयुक्त सचिव को भेज सकते हैं.”

समिति को भेजे गए ज्ञापन समिति के रिकार्ड का हिस्सा होंगे और इन्हें गोपनीय माना जाएगा तथा समिति के विशेषाधिकार के दायरे में होंगे. बयान के मुताबिक, ज्ञापन प्रस्तुत करने के अतिरिक्त जो व्यक्ति समिति के समक्ष प्रस्तुत होना चाहते हैं उनसे अनुरोध है कि वे अपनी इच्छा के बारे में सूचित करें. सरकार द्वारा भूमि विधेयक पर जारी किए गए अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए संसद के बजट सत्र में इस विधेयक को लोकसभा से पारित कर दिया गया था. राज्यसभा में हालांकि सरकार समर्थन जुटाने में विफल रही, जिस कारण सरकार को अप्रैल में दोबारा से अध्यादेश जारी करना पड़ा था. इसके बाद विधेयक को बजट सत्र के दूसरे चरण में लोकसभा में दोबारा पेश किया गया, जहां से इसे संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समित के पास भेज दिया गया. 

IANS

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