धरती की तबाही का काउंटडाउन शुरू, तेजी से पिघल रही है बर्फ

अगर धरती पर बर्फ न हो तो क्या होगा. अगर समंदर सूखकर रेगिस्तान बन जाए तो क्या होगा. सवाल इसलिए क्योंकि करीब एक लाख साल बाद धरती पर सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है. एक ऐसा संकट जो दुनिया की आधी से भी ज्यादा आबादी को मौत के मुंह में धकेल सकता है.

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धरती की तबाही का काउंटडाउन शुरू, तेजी से पिघल रही है बर्फ

Admin

  • June 26, 2016 3:37 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. अगर धरती पर बर्फ न हो तो क्या होगा. अगर समंदर सूखकर रेगिस्तान बन जाए तो क्या होगा. सवाल इसलिए क्योंकि करीब एक लाख साल बाद धरती पर सबसे बड़ा संकट मंडरा रहा है. एक ऐसा संकट जो दुनिया की आधी से भी ज्यादा आबादी को मौत के मुंह में धकेल सकता है. ये सिर्फ एक आशंका नहीं बल्कि खतरे की सबसे बड़ी चेतावनी है. जो कहती है कि धरती पर तबाही का काउंटडाउन शुरू हो चुका है.
 
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हम बात कर रहे हैं उत्तरी ध्रुव यानी नॉर्थ पोल की जिसे आर्कटिक जोन कहते हैं. बुरी खबर ये है कि आर्कटिक महासागर की बर्फ इतनी तेजी से पिघलने लगी है कि साल भर के अंदर नॉर्थ पोल पूरी तरह बर्फ से खाली हो जाएगा. दरअसल आर्कटिक क्षेत्र में एक साल के अंदर करीब 15 लाख वर्ग किलोमीटर की बर्फ खत्म हो गयी है यानी उत्तरी ध्रुव का करीब 12 फीसदी बर्फीला हिस्सा पानी बन चुका है. इसे यूं समझिये कि जितना बड़ा ब्रिटेन है उससे करीब छह गुना बड़े इलाके की बर्फ गायब हो गयी है. 
 
आर्कटिक समुद्र पर 1 लाख से 1 लाख 20 हजार साल पहले आखिरी बार बर्फ खत्म हुई थी. ध्रुवीय इलाके में तेजी से बढ़ते तापमान के कारण ये स्थिति पैदा हो सकती है. इसी से ब्रिटेन में बाढ़ के हालात हैं और अमेरिका में बेमौसम तूफान भी आ रहे हैं. अगर बर्फ खत्म होती है तो दुनियाभर में तापमान बढ़ जाएगा और मौसम में कई तरह के आकस्मिक बदलाव होंगे. ग्लोबल वॉर्मिंग की स्थिति भी बदतर हो जाएगी.
 
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बता दें कि आर्कटिक क्षेत्र में आर्कटिक महासागर, कनाडा का कुछ हिस्सा, ग्रीनलैंड (डेनमार्क का एक क्षेत्र), रूस का कुछ हिस्सा, संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का), आइसलैंड नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैण्ड शामिल हैं.
 
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