नई दिल्ली. मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) में भारत के सदस्य बनने के बाद मोदी सरकार के हौसले बुलंद हैं. जिससे भारत चीन को ब्लैकमेल करके न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) की सदस्यता ले सकता है. भारत सोमवार को MTCR की सदस्यता ग्रहण करने जा रहा है. और चीन इस ग्रुप का सदस्य बननता चाहता है. दरअसल चीन ने 2004 में MTCR में घुसने की कोशिश की थी, पर उसकी एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया.
एप्लीकेशन को कर दिया था रिजेक्ट
चीन ने 2004 में MTCR में सदस्यता के लिए एप्लीकेशन दी थी, पर नॉर्थ कोरिया को मिसाइल तकनीक देने के आरोप में उसकी एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया. अब जब भारत MTCR का सदस्य होगा तो उसके पास मौका होगा कि वह चीन को एंट्री दे या नहीं.
सोमवार को होगी एंट्री
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि सोमवार को भारत पूर्णरूप से MTCR का सदस्य बन जाएगा. बता दें कि NSG की तरह MTCR में भी अन्य सदस्य देशों की रजामंदी जरूरी होती है. यहां इटली भारत का विरोध करता रहा लेकिन अब वे भी मान गया.
चीन 10 साल से MTCR में आने का इच्छुक
भारत के लिए एMTCR में जाना एक बड़ी उपलब्धि है. चीन 10 साल से से इसकी सदस्यता ग्रहण करना चाहता है लेकिन वह सदस्य नहीं बन पाया. भारत MTCR का 35वां सदस्य होगा. इसकी सदस्यता से भारत की मिसाइल टेक्नोलॉजी की गुणवत्ता तो बढ़ेगी ही भारत मिसाइल का निर्यात भी कर पाएगा.
MTCR से भारत को होगा यह फायदा
34 देशों के Missile Technology Control Regime (MTCR) में भारत की एंट्री फाइनल हो गई है. MTCR में शामिल होने के बाद भारत हाई-टेक मिसाइल का दूसरे देशों से बिना किसी अड़चन के एक्सपोर्ट कर सकता है और अमेरिका से ड्रोन भी खरीद सकता है और बह्मोस जैसी मिसाइल को बेच सकेगा. एमटीसीआर एक प्रमुख अप्रसार समूह है और इसका सदस्य बनने से भारत को अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी. MTCR का सदस्य बनने पर भारत को कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा जैसे अधिकतम 300 किलोमीटर से कम रेंज वाली मिसाइल बनाना ताकि हथियारों की होड़ को रोका जा सके. बता दें कि भारत ने MTCR सदस्यता के लिए पिछले साल आवेदन किया था और उसकी अर्जी ‘मूक प्रक्रिया’ के तहत विचाराधीन थी. किसी भी देश की आपत्ति के बिना प्रक्रिया की अवधि सोमवार को उसकी एंट्री हो जाएगी.