पढ़िए गांधीजी की मौत के बाद जिन्ना, जेपी, मुखर्जी, नेहरू, पटेल, बर्नाड शॉ के शोक संदेश

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने शोक संदेश में गांधी को हिंदू समुदाय का नेता बताकर लोगों के मन में कड़वाहट सी पैदा कर दी. वहीं किंग जॉर्ज षष्ठम ने उनकी हत्या को भारत ही नहीं बल्कि सारी मानवता के लिए ही क्षति बता दिया.

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पढ़िए गांधीजी की मौत के बाद जिन्ना, जेपी, मुखर्जी, नेहरू, पटेल, बर्नाड शॉ के शोक संदेश

Aanchal Pandey

  • January 30, 2018 4:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. गांधीजी की हत्या की खबर से देश ही नहीं विश्व भर में शोक की लहर दौड़ गई थी. जॉर्ज बर्नाड शॉ ने तो ये तक कहा कि यह दिखाता है कि अच्छा होना कितना खतरनाक होता है. किंग जॉर्ज षष्ठम ने इसे भारत ही नहीं सारी मानवता के लिए ही क्षति बताया. ऐसे में मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने शोक संदेश में गांधी को हिंदू समुदाय का नेता बताकर लोगों के मन में कड़वाहट सी भर दी.

माउंटबेटन तब पटेल और नेहरू के बीच के मतभेदों के बारे में जानते थे, उन्हें लगा यही मौका है और दोनों को कहा कि गांधीजी की यही आखिरी इच्छा थी कि तुम दोनों साथ काम करो. माउंटबेटन ने उन्हें बताया कि गांधीजी ने पिछले दिनों मुलाकात में मुझसे कहा था कि, ‘’वो दोनों मुझसे ज्यादा तुम्हारी सुनते हैं, तुम उन दोनों से साथ मिलकर काम करने को कहो.‘’ ये निर्णायक मोड़ था और दोनों ने उस भावुक क्षण में अपने मतभेदों को भुला दिया, और ये दरार बाद में सोमनाथ मंदिर और 1950 में राजर्षि टंडन के कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में ही सतह पर आ पाई.

हालांकि काफी मुश्किल वक्त था, माउंटबेटन ने पंडित नेहरू को राष्ट्र के नाम संदेश देने को कहा, लेकिन उनकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी. नेहरू बोले, ‘’समझ नहीं आ रहा है कि ऐसे मौके पर क्या बोलूं’’ तो माउंटबेटन ने ये कहकर ढांढस बंधाया कि, ‘’Not to worry.. God would tell you what to say’’. उसके बाद पंडित नेहरू ने अपना वो ऐतिहासिक और बेहद भावुक संदेश राष्ट्र के नाम सम्बोधन में दिया. नेहरू की इस स्पीच को ‘The light has gone out of our lives’ के शीर्षक से जाना जाता है. पंडित नेहरू ने कहा, ‘’That light will be seen …the world will see it and it will give solace to innumerable hearts. For that light represented something more than the immediate present; it represented the living, the eternal truths, reminding us of the right path, drawing us from error, taking this ancient country to freedom’’.

डा. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा, ‘’ Can we ever dream that Gandhiji was bringing harm to the Hindus or to their religion? Was it ever possible that this liberator of the Hindu community and emancipator of the low and downtrodden could even think of doing so? But men with narrow minds and limited vision who do not understand the core of Hindu Dharma thought it otherwise and the present calamity is a direct result of such an outlook’’. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा, ‘’ The light that illuminated our motherland and indeed the world amidst darkness and sorrow has suddenly gone out. The passing away of Mahatma Gandhi is the most stunning blow to that could fall on India. That he who made India free and self-reliant, a friend of and enemy of none, loved and respected by millions, should fall at the hands of an assassin, one of his own community and countrymen, is a matter of deepest shame and tragedy.’’ 

सरदार पटेल ने कहा, ‘’ For even though his mortal frame will turn into ashes tomorrow, at 4.00 pm, Gandhiji’s imperishable teachings will abide with us. I even feel that Gandhiji’s immortal spirit is still hovering over us and will continue to watch over the nation’s destiny in future also. The mad youth who killed him was wrong if he thought thereby he was destroying his noble mission. Perhaps God wanted Gandhiji’s mission to fulfill and prosper through his death.’’.

इन तमाम देशी विदेशी हस्तियों के बीच पाकिस्तान से मोहम्मद अली जिन्ना का शोक संदेश चर्चा का विषय बन गया, अपने मैसेज में भले ही जिन्ना ने दो बार गांधीजी को ग्रेट लिखा लेकिन जिन्ना ने गांधीज को अपने इस संदेश में एक हिंदू नेता ही बताया, जिसका उनके सहयोगियों ने भी उस वक्त विरोध किया था. जिन्ना का पूरा शोक संदेश ये हैं—

”I am shocked to learn of the most dastardly attack on the life of Mr. Gandhi, resulting in his death. There can be no controversy in the face of death.Whatever our political differences, he was one of the greatest men produced by the Hindu community, and a leader who commanded their universal confidence and respect. I wish to express my deep sorrow, and sincerely sympathize with the great Hindu community and his family in their bereavement at this momentous, historical and critical juncture so soon after the birth of freedom and freedom for Hindustan and Pakistan. The loss to the Dominion of India is irreparable, and it will be very difficult to fill the vaccum created by the passing away of such a great man at this moment.”

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