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असम में तीसरे दिन भी दिखा आरएसएस नेता के बयान के बाद भड़की हिंसा का असर, माइबांग में धारा 144 जारी

असम के दीमा हसाओ जिले में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई जिसके बाद यहां पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए गोली चलाई. पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में दो युवकों की मौत हो गई. यह प्रदर्शन डीमा हसाओ जिले के ग्रेटर नागालैंड में सम्मिलित करने की खबर के बाद हुई थी. आदिवासी समुदाय लंबे समय से डीमा हसाओ जिले को ग्रेटर नागालैंड में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं.

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Aasam Violence
  • January 27, 2018 4:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

गुवाहाटी. असम में 25 जनवरी को आरएसएस नेता के बयान को लेकर भड़की हिंसा के बाद 27 जनवरी (शनिवार) को भी स्थिति तनाव पूर्ण बनी हुई है. स्थिति को देखते हुए दीमा हसाओ जिले के माइबांग इलाके में कर्फ्यू लगा रखा है. यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक नेता के विवादित भाषण के बाद स्थानीय नेताओं ने 25 जनवरी को 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था. 25 जनवरी को प्रदर्शनकारी जब माइबांग रेलवे स्टेशन पर रेल रोकने की कोशिश कर रहे थे तभी पुलिस ने उन पर गोली चला दी थी. पुलिस की गोलीबारी में मिथुन दिब्रागेड़ा (27) और प्रबान्त हकमाओसा (17) समेत पाँच लोग घायल हो गये थे.

मिथुन की अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में मौत हो गई थी जबकि प्रबांत की अगले दिन 26 जनवरी को अस्पताल में मौत हो गई थी. दोनों युवकों की मौत के बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई थी, इसे देखते हुए प्रशासन ने इलाके में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया. यह कर्फ्यू शनिवार को भी जारी है. स्थानीय संगठन ने दो युवकों की मौत के बाद 26 जनवरी को ”काला दिवस” के रुप में मनाने का आह्वान किया था.

दीमा हसाओ में इसलिए हो रहा है विवाद…
दीमा हसाओ जिले के ग्रेटर नागालैंड में सम्मिलित करने की खबर के बाद यहां हिंसा हुई थी. आरएसएस के एक नेता ने कहा था कि जिस तरह से नागा लोगों में अब शांति हैं उससे साफ है कि नागा शांति समझौता सफल रहा है और इसके बाद आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र डिमासा ग्रेटर नागालैंड का हिस्सा होगा. इसके लिए केंद्र सरकार से बातचीत चल रही है. आरएसएस नेता के इस बयान के बाद यहां फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. आरएसएस नेता के बयान के बाद लोगों ने रेल रोकने का प्रयास किया. प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. स्थानीय संगठन लंबे समय से डिमासा को नागालैंड में शामिल किए जाने के समझौते का विरोध कर रहे हैं.

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