सिद्धारमैया सरकार के कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले नए सर्कुलर से राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है. राज्य में सिद्धारमैया सरकार ने जो सर्कुलर जारी किया है उसमें अल्पसंख्यकों, किसानों और कन्नड़ आंदोलनकारियों के खिलाफ केस वापिस लेने की बात कही है. इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए इसे चुनाव के पहले अल्पसंख्यकों को रिझाने की कोशिश करार दिया है.
बेंगलुरु. कर्नाटक में 2018 के मध्य में विधानसभा चुनाव होने है, जिससे पहले राज्य की कांग्रेस सरकार ने अल्पसंख्यकों, किसानों और कन्नड कार्यकर्ताओं पर लगे सांप्रदायिक मामलों को वापिस लेने का फैसला किया है. राज्य की सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले के बाद राज्य मेम सियासत तेज हो गई है. राज्य सरकार के इस कदम को लेकर बीजेपी ने सिद्धारमैया सरकार पर एंटी हिन्दू होने का आरोप मंड़ते हुए जमकर निशाना साधा है. बीजेपी ने सीधे तौर पर सीएम सिद्धारमैया को हिंदू विरोधी बताया है.
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया अल्पसंख्यक समुदाय, किसानों, कन्नड़ के समर्थन में एक्टिविस्ट के खिलाफ पिछले 5 वर्षों में दर्ज मुकदमों को वापस लेने की तैयारी कर रहे हैं. इस बारे में तमाम मामलों की जानकारी हासिल करने के लिए चौथा सर्कुलर अलग-अलग पुलिस डिवीजन को जारी किया गया है. गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सांप्रदायिक तनाव के दौरान दर्ज हुए मामले ना सिर्फ अल्पसंख्यकों के खिलाफ बल्कि किसानों, कन्नड एक्टिविस्ट के खिलाफ भी वपास ले रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्नाटक के डीजीपी नीलमणि एन राजू ने शुक्रवार को सर्कुलर जारी किया था. इसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ पिछले 5 सालों में सांप्रदायिक हिंसा के मामले वापिस लेने की बात कही गई. इसमें खास बात यह है कि यह सर्कुलर केवल पिछले 5 सालों पर ही लागू होगा. सरकार का दावा है कि उसने यह कदम युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखकर उठाया है. कर्नाटक में विपक्ष के नेता केएस ईश्वरप्पा के मुताबिक कांग्रेस की ये ‘कम्यूनल पॉलिटिक्स’ है. पूर्व मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि राज्य में चुनाव से पहले सिद्धारमैया की सरकार डिप्रेशन में चली गई है.