इस्लामाबाद. पाकिस्तान ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए समर्थन जुटाने का कूटनीतिक प्रयास जारी रखते हुए कहा कि यदि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को सदस्य बनाया जाता है तो बिना भेदभाव वाला रुख अपनाया जाए. भारत और पाकिस्तान दोनों 48 सदस्यीय एनएसजी में शामिल होना चाहते हैं और दोनों ने ही एनपीटी पर दस्तखत नहीं किया है.
23-24 जून को होगी NSG की बैठक
पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने आस्ट्रिया के विदेश मंत्री सेबस्तियन कुर्ज और तुर्की के मेवलुत कावुसोग्लू को फोन कर इस समूह में शामिल होने के अपने आवेदन को समर्थन देने का आग्रह किया. यह अपील 23-24 जून को सियोल में होने वाली एनएसजी की पूर्ण बैठक के पहले की गई है. इसी बैठक में भारत और पाकिस्तान की सदस्यता से जुड़े आवेदन पर विचार किया जाएगा.
कई विदेश मंत्रियों को अजीज ने किया फोन
अजीज ने तुर्की को उसके इस रुख के लिए धन्यवाद दिया कि पाकिस्तान और भारत, दोनों के आवेदन पर एक साथ विचार किया जाना चाहिए. अजीज ने वियना में 9-10 जून की बैठक में तुर्की द्वारा सैद्धांतिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए कावुसोग्लू को धन्यवाद दिया. अजीज ने अर्जेटीना की विदेश मंत्री सुसाना मालकोर्रा से भी बात की. भारत और पाकिस्तान दोनों ने एनएसजी में शामिल होने के लिए मई में आवेदन किया था. एनएसजी ही वैश्विक परमाणु बाजार को नियंत्रित करता है. पाकिस्तान और चीन भारत को एनएसजी का सदस्य बनाने के खिलाफ है. वियना की बैठक में अमेरिका के जबर्दस्त प्रयासों एवं अधिकांश सदस्य देशों के भारत को मिले समर्थन के बावजूद भारत की सदस्यता को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया.
चीन ने किया भारत का विरोध
चीन ने भारत के प्रयास का यह कहते हुए विरोध किया कि नए आवेदकों को एनएसजी के मानदंड में रियायत नहीं देनी चाहिए. चीन के एक प्रमुख एवं प्रभावी दैनिक ने कहा कि यदि भारत परमाणु हथियारों के अप्रसार के नियम का पालन करने का वादा करे तो चीन, भारत के एनएसजी में प्रवेश का समर्थन कर सकता है. इसके बावजूद पाकिस्तान एनएसजी की सदस्यता के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी रखे हुए है. भारत ने चूंकि अप्रसार संधि या व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किया है, इसलिए उसे एनएसजी में शामिल करने में दिक्कत है.