मुजफ्फरनगर दंगों के चलते दर्ज हुए एक केस को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार वापस लेने का विचार कर रही है. योगी सरकार ने इस संबंध में मुजफ्फनगर में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी से राय भी मांगी है. भाजपा विधायक उमेश मलिक के अलावा इस मामले में बिजनौर से भाजपा सांसद भारतेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद संजीव बालियान और साध्वी प्राची का नाम भी दर्ज है.
मुजफ्फरनगरः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगो से जुड़ा एक केस वापस लेने की तैयारी में है. सरकार ने जिलाधिकारी से वर्तमान स्थिति पर राय मांगी है साथ ही यह भी पूछा गया है कि क्या केस वापस लेना लोक हित में सही कदम होगा. मुजफ्फरनगर में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने द संडे एक्सप्रेस से इस बात की पुष्टि की कि राज्य सरकार ने कानून विभाग के जरिए मामले में 13 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. 31 अगस्त,2013 को यह केस दर्ज हुआ था.
अधिकारी ने बताया कि सरकार ने मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना से भाजपा विधायक उमेश मलिक के खिलाफ दर्ज 8 अन्य आपराधिक मामलों पर भी राय मांगी है. इस मामले पर मलिक का कहना है कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है और न ही केस खत्म करने को लेकर राज्य सरकार से कोई भी बात की है. मलिक ने बताया कि उनके अलावा इस मामले में बिजनौर से भाजपा सांसद भारतेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री व स्थानीय सांसद संजीव बालियान और साध्वी प्राची का नाम भी दर्ज है.
सूत्रों के अनुसार कानून विभाग ने डीएम को यह पत्र जनवरी के पहले सप्ताह में भेजा था. जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी के पीआरओ ने बताया कि उनसे इस बारे में सुना है, लेकिन ऐसा कोई पत्र उनके पास नहीं पहुंचा है. हो सकता है वह हम तक जल्द ही पहुंचे. हम इस बारे में आधिकारिक पत्राचार के बाद ही बात करेंगे. मुजफ्फरनगर के एजीएम हरीश चंद्र का कहना है कि उन्हें ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है. संभव है कि वह हम तक जल्दी ही पहुंचेगा. हम इस मामले पर तब तक कुछ नहीं बोल सकते जब हमें कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिलती.
बता दें कि मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में बालियान, भारतेंद्र सिंह और उमेश मलिक पर मुकदमें चल रहे हैं जिनमें से एक मुकदमें में साध्वी प्राची का भी नाम है. इन पर 31 अगस्त, 2013 को भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.
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