रासायनिक व जैविक हथियारों के निर्माण के खिलाफ काम करने वाली बड़ी अंतर्राष्ट्रीय संस्था में भारत को शुक्रवार को एंट्री मिली है. भारत अब ऑस्ट्रेलिया ग्रुप का सदस्य बन गया है, यह ग्रुप इस बात को सुनिश्चित करता है कि रासायनिक और जैविक हथियार का निर्यात नहीं हो.
नई दिल्ली. न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) की सदस्यता के लिए लगातार प्रयास कर रहे भारत को बड़ी सफलता मिली है. भारत को 43 सदस्यों के ऑस्ट्रेलिया ग्रुप में एंट्री मिल गई है, जिसके कारण भारत की एनएसजी में दावेदारी मजबूत हुई है. भारत औपचारिक तौर पर ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (एजी) का सदस्य बन गया है. यह ग्रुप इस बात पर नियंत्रण करता है कि न्यूक्लियर सप्लार से कोई परमाणु या जैविक हथियार ना बने. इस सफलता से अभिभूत पीएम मोदी ने ट्वीट कर ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और उसके सदस्यों को धन्यवाद दिया है.
पीएम मोदी ने ट्वीट करके ऑस्ट्रेलिया का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा कि पिछले दो वर्षों में एमटीसीआर, वासेनार और एजी ग्रुप में मिली. जिससे भारत की सदस्यता से एनएसजी में दावेदारी को मजबूती तो मिलती ही है, यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है. खबरों के अनुसार यह देशों का सहकारी और स्वैच्छिक समूह है जो उन सामग्रियों, उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के प्रसार को रोकने के लिए काम कर रहा है. जो देशों या आतंकी संगठनों की ओर से रासायनिक और जैविक हथियारों के विकास या अधिग्रहण में योगदान दे सकता है.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एजी ने आम राय के जरिए लिए गए फैसले में भारत को ग्रुप के 43वें भागीदार के तौर पर शामिल किया. एजी में भारत के प्रवेश पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि यह ‘परस्पर लाभदायक होगा और अप्रसार के मकसद में मदद करेगा. ऑस्ट्रेलिया ग्रुप एक अनौपचारिक संगठन है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश पहले से हैं. अमेरिका और फ्रांस काफी पहले से भारत को इस ग्रुप का मेंबर बनाने की वकालत कर रहे थे. बता दें, पाकिस्तान के इशारे पर चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता की राह में रोड़े अटकाता रहा है.
PM नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने से नाराज आरएसएस, वीएचपी के प्रवीण तोगड़िया समेत तीन को कर सकता है बाहर