आनंदी बेन पटेल गुजरात की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. उन्होंने अगस्त 2016 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. आनंदीबेन पटेल को ओमप्रकाश कोहली की जगह राज्यपाल बनेंगी. आनंदीबेन पटेल 1987 में गुजरात की राजनीति में सक्रिय तौर पर जुड़ी थीं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफे के बाद वे गुजरात की मुख्यमंत्री बनी थीं. हालांकि दो साल में ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
भोपाल. गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल मध्य प्रदेश की राज्यपाल होंगी. आनंदीबेन पटेल को ओम प्रकाश कोहली की जगह पर मध्य प्रदेश की राज्यपाल बनेंगी. बताया जा रहा है कि आनंदीबेन पटेल की हामी भरने के बाद ही उनके राज्यपाल बनाने की घोषणा की गई है. आनंदीबेन पटेल ने हाल में हुए गुजरात के विधानसभा चुनाव के दौरान इलेक्शन लड़ने से इंकार कर दिया था. गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार के बाद से ही उन्हें कोई और पद दिए जाने की सुगबुगाहट थी. यह सुगबुगाहट अब नतीजे के रूप में बदल चुकी है और आनंदीबेन पटेल मध्य प्रदेश की राज्यपाल बन गई हैं.
गुजरात में चार बार मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के इस्तीफे के बाद आनंदीबेन पटेल गुजरात की मुख्यमंत्री बनीं. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मई 2014 को इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद आनंदीबेन पटेल गुजरात की मुख्यमंत्री बनीं. आनंदीबेन पटेल मुख्यमंत्री बनने से पहले सड़क और भवन निर्माण, राजस्व, शहरी विकास और शहरी आवास, महिला एवं बाल कल्याण, आपदा प्रबंधन और राजस्व मंत्री के तौर पर काम कर चुकी थीं. आनंदीबेन पटेल टीचर थीं जो कि बाद में राजनीति में आ गईं.
आनंदीबेन पटेल ने अगस्त 2016 में गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंपा था. आनंदीबेन ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर 75 साल की उम्र की पार्टी की पॉलिसी की दुहाई देते हुए कहा था कि वो खुद अपनी जिम्मेदारी से हटना चाहती हैं. उस वक्त आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफे का कारण भले ही उम्रसीमा लिखा था लेकिन राजनीतिक गलियारों में कुछ और ही चर्चा थी. दरअसल पटेल आंदोलन और ऊना में दलितों की पिटाई कांड के बाद सरकार पर लगातार विपक्ष हमलावर था. दोनों घटनाओं की देशभर में चर्चा थी. माना जा रहा था कि इसी कारण उन्हें भरोसे में लेकर इस्तीफा दिलवाया गया है. आनंदीबेन पटेल का राजनीति का सफर काफी लंबा रहा है. वे 1987 में बीजेपी की गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष बनी थीं. इसके बाद उनका राजनीतिक करियर लगातार बुलंदियों को छूता गया.