महाराष्ट्र: तीन दलितों की हत्या मामले में छह लोग दोषी करार, अंतर्जातीय प्रेम संबंधों के चलते की थी हत्या

विशेष सरकारी अभियोजक उज्जवल निकम के अनुसार 22 साल का वाल्मिकी समाज से ताल्लुक रखने वाला सचिन घारु, संदीप थांवर (26) और राहुल कांडरे (20) अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका में त्रिरुमू्र्ति पवन फाउंडेशन में काम करता था.

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महाराष्ट्र: तीन दलितों की हत्या मामले में छह लोग दोषी करार, अंतर्जातीय प्रेम संबंधों के चलते की थी हत्या

Aanchal Pandey

  • January 16, 2018 12:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नासिक. महाराष्ट्र के नासिक की एक विशेष अदालत ने तीन दलितों की हत्या के मामले में 6 लोगों को दोषी करार दिया है. 2013 में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के सोनाई में अंतर्जातीय प्रेम प्रसंग के चलते तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी. हत्या में लड़की के परिजन शामिल थे. कोर्ट ने सोमवार को लड़की के चार परिजन समेत कुल 6 लोगों को इस हत्याकांड के लिए दोषी करार दिया है. कोर्ट ने सभी दोषियों को हत्या, सबूतों से छेड़छाड़, आपराधिक षडयंत्र और एससी-एसटी एक्ट में दोषी पाया है. वहीं कोर्ट ने सबूतों के अभाव में अशोक फलाके नाम के एक आदमी को बरी कर दिया है. स्पेशल जज आर आर वैष्णव 18 जनवरी को दोषियों को सजा सुनाएंगे.

विशेष सरकारी अभियोजक उज्जवल निकम के अनुसार 22 साल का वाल्मिकी समाज से ताल्लुक रखने वाला सचिन घारु, संदीप थांवर (26) और राहुल कांडरे (20) अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका में त्रिरुमू्र्ति पवन फाउंडेशन में काम करता था. वहीं मराठा कम्यूनिटी की 19 साल की लड़की उसी संस्थान में पढ़ती थी. जहां सचिन और उस लड़की के बीच प्रेम प्रसंग हो गया. लेकिन लड़की के परिजन इस रिश्ते के खिलाफ थे. निकम के अनुसार जब लड़की के पिता पोपट दारांडले को इस बात का पता चला तो उसने उन्होंने तीनों दोस्तों की हत्या करवा दी. संदीप का शव हत्या करने के बाद सैप्टिक टैंक में डाल दिया. बाकी सचिन और राहुल के शव के टुकड़े करके बोरवैल में डाल दिए.

तीनों की हत्या के बाद एक दोषी ने ही संदीप के सैप्टिक टैंक में डूबने की शिकायत दर्ज कराई थी. परिजनों के द्वारा पुलिस शिकायत के बावजूद पुलिस ने दोषियों के रसूख के कारण कोई कार्रवाई नहीं की. साथ ही कोर्ट में मामला होने के बावजूद अपराधी बचते रहे. 2015 में संदीप के भाई पंकज ने मामले को अहमदनगर से किसी दूसरे जिले में ट्रांसफर करने के लिए याचिका कोर्ट में दाखिल की. पंकज भारतीय सेना में कार्यरत है. जिसके बाद अपराधियों ने पंकज को मामले को वापस लेने के लिए धमकियां देनी शुरु कर दी.

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