गुरुदास ने छोड़ा कांग्रेस का ‘हाथ’, राजनीति को कहा अलविदा

पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष गुरुदास कामत ने सोमवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए राजनीति से भी संन्यास लेने की घोषणा की है. कामत का यह फैसला अगले साल होने वाले मुंबई निकाय चुनाव से पहले आया है, जो कि कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका भी माना जा रहा है.

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गुरुदास ने छोड़ा कांग्रेस का ‘हाथ’, राजनीति को कहा अलविदा

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  • June 7, 2016 4:25 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
मुंबई. पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष गुरुदास कामत ने सोमवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए राजनीति से भी संन्यास लेने की घोषणा की है. कामत का यह फैसला अगले साल होने वाले मुंबई निकाय चुनाव से पहले आया है, जो कि कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका भी माना जा रहा है. हालांकि कामत के इस फैसले के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
 
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‘राजनीति छोड़ी है समाज सेवा नहीं’
 
गुरुदास कामत ने अपने सन्यास पर बात करते हुए कहा है कि उन्होंने राजनीति से सन्यास लिया है समाज सेवा से नहीं. मैं हमेशा ही लोगों की सहायता के लिए मौजूद रहूंगा. केवल पार्टी का टैग हट रहा है, लेकिन मैं जनता के लिए हर समस्या के समाधान और उनकी सेवा के लिए हमेशा तैयार हूं.  
 
बता दें कि आठवीं, दसवीं, बारहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गए गुरुदास कामत कांग्रेस के सीनियर नेताओं में एक रहे हैं. इससे पहले यूपीए सरकार में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को भी निभाया था.
 
44 साल से कांग्रेस की सेवा की
 
कामत ने मीडिया को जारी एक बयान में भावुक होते हुए यह भी कहा कि बीते 44 साल से आप सबके साथ मिलकर मैंने कांग्रेस की सेवा की. बीते कुछ महीनों से मैं ऐसा महसूस कर रहा हूं कि मुझे पीछे आकर दूसरों के लिए मौका छोड़ना चाहिए. दस दिन पहले पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर मैंने उन्हें अपने विचारों से अवगत करा दिया था.
 
कामत ने कहा, ‘सोनिया गांधी और राहुल गांधी का मैं सम्मान करता हूं. सन्यास लेने का निर्णय मेरा खुद का है. मैंने अपनी मर्जी से यह कदम उठाया है.’
 
सोनिया और राहुल से की थी बात
 
इसके अलावा कामत का दावा है कि अपने संन्यास के मुद्दे पर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से बात की थी. साथ ही उन्होंने सोनिया और राहुल को इस बारे में चिट्ठी भी लिखी थी, लेकिन पार्टी के इन दोनों बड़े नेताओं की तरफ से उनकी चिट्ठी का कोई जवाब नहीं दिया गया.
 
रिपोर्ट्स की मानें तो पार्टी आलाकमान के उदासीन रवैए के बाद ही उन्होंने अपने फैसले को सार्वजनिक करने का फैसला कर लिया.
 
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