भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ 'चयनात्मक' तरीके से केस देने और कुछ न्यायिक आदेशों को लेकर अन्य शब्दों में कहा जाए तो बगावत करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में से एक जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यह मुद्दा कोई संकट नहीं है. शनिवार को जस्टिस रंजन गोगोई एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कोलकाता पहुंचे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब उनसे पूछा गया कि क्या उनका कदम न्यायालय के अनुशासन का उल्लंघन है तो उन्होंने इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने यह कहते हुए सवाल टाल दिया कि उन्हें लखनऊ के लिए फ्लाइट लेनी है और वह बात नहीं कर सकते.
कोलकाताः भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ ‘चयनात्मक’ तरीके से केस देने और कुछ न्यायिक आदेशों को लेकर अन्य शब्दों में कहा जाए तो बगावत करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में से एक जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यह मुद्दा कोई संकट नहीं है. शनिवार को जस्टिस रंजन गोगोई एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कोलकाता पहुंचे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब उनसे पूछा गया कि क्या उनका कदम न्यायालय के अनुशासन का उल्लंघन है तो उन्होंने इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने यह कहते हुए सवाल टाल दिया कि उन्हें लखनऊ के लिए फ्लाइट लेनी है और वह बात नहीं कर सकते.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज रंजन गोगोई राज्य विधिक सेवा प्राधिकारियों के पूर्वी क्षेत्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शनिवार को कोलकाता आए थे. इस दौरान जब मीडिया ने उनसे पूछा कि संकट सुलझाने के लिए आगे क्या रास्ता है तो उन्होंने कहा, ‘यह कोई संकट नहीं है.’ बताते चलें कि आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के चार जज एक साथ न्यायिक व्यवस्था पर बात करने और आंतरिक तंत्र में चल रही गतिविधियों पर अपनी बात रखने के लिए मीडिया के सामने आए हो. इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके 12 जनवरी, 2018 यानी शुक्रवार के दिन सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों जस्टिस जे. चेलामेश्वर, कुरियन जोसेफ, मदन लोकुर और रंजन गोगोई ने प्रेस कॉंफ्रेंस (पीसी) कर देश को चौंका दिया. उन्होंने पीसी में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े किए.
जिसके बाद देश में नए सिरे से एक बहस शुरू हो गई और यह कहा जाने लगा कि क्या जनता को इंसाफ देने वाले जजों को भी इंसाफ चाहिए. बहरहाल इस विवाद को सुलझाने के लिए हर संभव कोशिशें जारी हैं. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो रविवार को सभी जजों से बात करते हुए इस विवाद को खत्म कराने के प्रयास करेगी. वहीं बार काउंसिल ने 2 प्रस्ताव पारित कर मांग की है कि विवादित मसलों पर सुप्रीम कोर्ट के सभी जज पुनर्विचार करें और जनहित याचिकाओं की सुनवाई या तो खुद CJI या कोलेजियम में शामिल बाकी के 4 जज करें. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र ने शनिवार को CJI से मुलाकात की कोशिश की लेकिन वह उनसे नहीं मिल पाए. बताया जा रहा है कि मिश्र करीब 5 मिनट तक CJI के आवास के बाहर खड़े रहे लेकिन यह मीटिंग नहीं हो सकी.
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