नई दिल्ली. भारत न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में सदस्यता पाने की राह में अगला कदम उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 4 जून से शुरू हो रही अमेरिका यात्रा के दौरान एनएसजी का मेंबर बनने के लिए भारत अमेरिका का समर्थन पाने के लिए कोशिश करेगा.
भारत मेंबरशिप के लिए 12 मई को अप्लाई कर चुका है. इसे लेकर पहले पाकिस्तान ने चीन की मदद से अड़ंगा लगा दिया था. इस मामले में भारत का पहला टेस्ट 9-10 जून को वियना में होने वाला है. वियना में एनएसजी टेक्नीकल की एक क्लोज्ड डोर मीटिंग में भारत की दावेदारी की परीक्षा होने वाली है.
एक वरिष्ठ रायनयिक ने बताया है कि इस मामले पर खुद पीएम मोदी ने 48 देशों की सरकारों से बात की है. भारत को एप्लीकेशन जमा करने में सात साल का समय लगा है. इस मामले में एनएसजी के कई अधिकारियों और फॉरम से बातचीत सात साल पहले ही शुरू हो गई थी. भारत के इस कदम से पड़ोसी देश चीन के साथ संबंध भी खराब हो सकते हैं.
बता दें कि चीन भारत की इस पहल का विरोध कर रहा है और पाकिस्तान का साथ दे रहा है. चीन का कहना है कि किसी भी देश को तब तक मेंबरशिप नहीं देनी चाहिए जब तक वह नॉन-प्रोलिफिरेशन ट्रीटी (NPT) पर साइन कर दे.
एनएसजी में मेंबरशिप को लेकर अप्रैल के आखिरी हफ्ते में ही प्रक्रिया शुरू हो गई थी. एनएसजी से संबंधित दस्तावेज भारत ने इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) को भेजे थे. मई में चीन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यह मुद्दा चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग के सामने उठाया था. हालांकि चीन ने उस वक्त कोई जवाब नहीं दिया था, लेकिन इस मामले पर बात करने के लिए राजी हो गया था.
9-10 जून को होनी वाली एनएसजी टेक्नीकल कमिटी की बैठक के लिए भारतीय अफसर लगातार अमेरिका से बात कर रहे हैं. इसी मीटिंग में भारत की फाइल पर चर्चा होनी है. इसका मकसद बैठक में अमेरिकी सपोर्ट हासिल करना है. इसके बाद 24 जून को दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में एनएसजी प्लेनरी की बैठक होनी है. इस बैठक में एजेंडे पर चर्चा हो सकती है.