जाट आरक्षण: हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

जाट आरक्षण के मुद्दे पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जाट आरक्षण संघर्ष समिती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है कि हाई कोर्ट ने बिना सरकार का पक्ष सुने ही आदेश दे दिया था. ऐसे में जब तक मामले कि सुनवाई लंबित है तब तक अंतरिम रोक को हटाया जाए.

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जाट आरक्षण: हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

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  • June 1, 2016 6:58 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. जाट आरक्षण के मुद्दे पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जाट आरक्षण संघर्ष समिती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है कि हाई कोर्ट ने बिना सरकार का पक्ष सुने ही आदेश दे दिया था. ऐसे में जब तक मामले कि सुनवाई लंबित है तब तक अंतरिम रोक को हटाया जाए. याचिका में आधार दिया गया है कि विधायिका द्वारा पारित किये गए कानून पर अंतरिम रोक नहीं लगाई जा सकती.  इतना ही नहीं हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ता को जो अंतरिम राहत दी है वो अंतिम राहत की तरह है.
 
याचिका में क्या कहा?
याचिका में कहा गया है कि जनहित याचिका के जरिये किसी भी कानून को अल्ट्रावायरस घोषित नहीं कर सकते. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि जनहित याचिका के जरिये किसी भी कानून को रद्द नहीं किया जा सकता. इतना ही नहीं याचिका में ये भी कहा गया है कि इस समय शैक्षिक संस्थानों में दाखिले हो रहे है ऐसे में उन्हें ओबीसी कैटेगरी के तहत ही दाखिला दिया जाए. वही सरकारी नोकरी में भी उन्हें ओबीसी कैटेगरी का लाभ मिले. 
 
 
दरअसल, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार द्वारा नई बनाई गई पिछड़ा वर्ग (सी) श्रेणी के तहत जाटों और पांच अन्य समुदायों को दिए गए आरक्षण पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने यह आदेश हरियाणा पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में और शिक्षण संस्थाओं में दाखिले में आरक्षण) अधिनियम 2016 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. इस कानून को 29 मार्च को राज्य विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था. नया कानून जाट और पांच अन्य समुदायों को पिछड़ा वर्ग (सी) श्रेणी के तहत आरक्षण देता है. पांच अन्य समुदायों में जाट सिख, मुस्लिम जाट, बिश्नोई, रोर और त्यागी शामिल हैं. इन्हें सरकारी सेवाओं और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है.
 
हरियाणा में जाट आंदोलन को लेकर दिल्ली में हुई बैठक के बाद अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि हम पांच जून से जाट न्याय रैली करेंगे. मलिक ने कहा कि पिछले आंदोलन की तरह देश और प्रदेश की शांति भंग हो, इसके लिए इस बार शहरों से दूर यह धरने और प्रदर्शन किए जाएंगे. सरकार ने 22 फरवरी को समाज की जो मांगों का पूरा करने का वादा किया था, वह आज तक पूरा नहीं किया गया है. 
 
जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पांच जून से हरियाणा में फिर से आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है. जिसके बाद हरियाणा में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. राज्य के 8 जिलों में धारा 144 लगाई गई है. 

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