जयपुर. पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर 2 साल से जयपुर में रह रही मशाल डॉक्टर बनना चाहती है, लेकिन उसकी यह ख्वाहिश लगता है अधूरी रह जाएगी. क्योंकि इसके लिए भारत की नागरिकता बाधा बन रही है.
बीते सप्ताह जैसे ही सीबीएसई 12वीं का रिजल्ट आया तो मशाल का पूरा परिवार खुशी के मारे झूम उठा, क्योंकि मशाल को 91 फीसदी नंबर मिले थे. हालांकि उनकी यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई. मशाल ने भले ही 91 फीसदी नंबर हासिल कर लिए, लेकिन भारतीय नागरिकता नहीं होने के कारण वह ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (AIPMT) में शामिल नहीं हो पाई.
मशाल ने बताया कि AIPMT में नागरिकता को लेकर दो ही विकल्प भारतीय/अनिवासी भारतीय है, जिनमें से किसी भी कैटेगरी में वह नहीं आती है. मशाल किसी भी कीमत पर अपना 1 और साल बर्बाद करना नहीं चाहती है, वह हर हाल में 24 जुलाई को होनी वाली NEET-2 में बैठना चाहती है, क्योंकि पाक से भारत आने के दौरान उसका 1 साल खराब हो चुका है.
मशाल का परिवार दो साल से वीजा पर जयपुर में रह रहा है. मशाल के माता-पिता ने बताया कि वे जयपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में काम करते हैं जहां उन्हें इतनी सैलरी नहीं मिलती कि वे प्राइवेट मेडिकल कॉलेज का खर्च उठा सकें. परिजनों के अनुसार उन्होंने मदद के लिए विदेश और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली है. वहीं मशाल के परिजन सुरक्षा कारणों से अब पाकिस्तान वापस जाने से भी डर रहे हैं.