NEET अध्यादेश पर रोक लगाने को लेकर जल्द सुनवाई नहीं: SC

कॉमन मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) को लेकर केंद्र सरकार को सूप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. कोर्ट ने इसके खिलाफ डाली गई याचिका को खारिज करते हुए अध्यादेश पर अतंरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह मामला जुलाई में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के सामने रखा जाएगा.

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NEET अध्यादेश पर रोक लगाने को लेकर जल्द सुनवाई नहीं: SC

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  • May 27, 2016 6:46 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. कॉमन मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) को लेकर केंद्र सरकार को सूप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. कोर्ट ने इसके खिलाफ डाली गई याचिका को खारिज करते हुए अध्यादेश पर अतंरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह मामला जुलाई में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के सामने रखा जाएगा. 
 
बता दें कि नीट पर सरकार के अध्यादेश को चुनौती व्यापम घोटाले के व्हिसल ब्लोअर रहे डॉ. आनंद राय और मेडिकल छात्र संजीव शुक्ला ने दी थी. बुधवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
 
क्या कहा कोर्ट ने ?
 
कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है. सरकार ने नीट को खारिज नहीं किया है बल्कि कुछ राज्यों को छूट दी है. अगर हम इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे तो इसे लेकर छात्रों में भ्रम पैदा होगा.
 
SC में अध्यादेश को मिली थी चुनौती
 
याचिका में कहा गया था कि नीट परीक्षा के लिए सरकार जो अध्यादेश लेकर आई है वह जनहित के खिलाफ है. उन्होंने याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में अनियमितताओं और धांधली-भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए नीट परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था.
 
इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि नीट अध्यादेश जल्दबाजी में लाया गया है. इसके पीछे सरकार की मंशा ठीक नहीं है. अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए लाया गया है.
 
क्या है मामला ?
 
कोर्ट ने आदेश दिया था कि देश के सभी निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस में प्रवेश के लिए एक कॉमन टेस्ट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) इसी वर्ष से लागू किया जाएगा.
 
इसके बाद राज्य के बोर्ड अलग से कोई परीक्षा नहीं आयोजित कर सकेंगे. इस फैसले को एक साल तक रोकने के लिए केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जिसे मंगलवार को राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई थी. संकल्प ट्रस्ट इसी अध्यादेश का विरोध कर रहा है.

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