सकंष्टी चतुर्थी को माघ चतुर्थी और तिल चतुर्थी भी कहा जाता है. सकंष्टी चतुर्थी का व्रत माताएं बच्चों के लिए रखती हैं. वैसे तो हर मास दो चतुर्थी पड़ती हैं लेकिन पूर्णिमा के बाद पड़ने वाली कृष्ण पक्ष ककी चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन माघ में पड़ने वाली चतुर्थी के कई मायने हैं, क्योंकि इस दिन ऐसा माना जाता है कि पूजा पाठ करने से विघ्नहर्ता गणपति जी की असीम कृपा बरसती है.
नई दिल्ली. हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी 2018 का खास महत्व होता है. माघ में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को माघ संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. वैसे तो हर मास दो चतुर्थी पड़ती हैं लेकिन पूर्णिमा के बाद पड़ने वाली कृष्ण पक्ष ककी चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन माघ में पड़ने वाली चतुर्थी के कई मायने हैं, क्योंकि इस दिन ऐसा माना जाता है कि पूजा पाठ करने से विघ्नहर्ता गणपति जी की असीम कृपा बरसती है. संकष्टी चतुर्थी को तिल चतुर्थी भी कहा जाता है. इस व्रत को माताएं अपनी संतान की खुशहाली और समृद्धि के लिये करती हैं. कहा जाता है कि जिन महिलाओं को बच्चों होने का सौभाग्य नहीं मिल पाता ऐसी स्त्रियों को भी इस व्रत को करने बच्चें होना का वरदान मिल जाता है.
संकष्टी चतुर्थी 2018 व्रत पूजा विधि
. पूजा करने के लिये सबसे पहले ध्यान दें कि आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में हो.
. भगवान गणेश की ओर पीठ नहीं होनी चाहिये
. पूजा स्थल में स्नान के बाद ही अंदर जाएं
. भोग के लिये शुद्ध रूप से तैयार किया हुआ प्रसाद चढ़ाएं
. भोग के लिये तिल के लड्डओं का भोग लगाएं.
. पूजा के दौरान संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा अवश्य सुनें.
संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा मंत्र
ॐ गणेशाय नम: अथवा ॐ गं गणपतये नम:
संकष्टी चतुर्थी 2018 पूजन मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरम्भ- 4 जनवरी 21.30
चतुर्थी तिथि समाप्त- 5 जनवरी 19.0
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