दो जनवरी को भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी रमन लाम्बा का जन्मदिन है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में 1960 में हुआ था. रमन ने क्रिकेट का आगाज तो शानदार किया, लेकिन दुर्भाग्यवश अंत दुखद और न भूलने वाला रहा
नई दिल्ली. भारत में क्रिकेट को धर्म माना जाता है. क्रिकेट आपको कई खुशी के पल देता है अपनी टीम की जीत पर आप खुश होते हो और हार पर दुखी लेकिन आपको पता है कि ये खेल कितना खतरनाक है. इस खेल में हड्डी टूटना या चोट लगना तो आम बात है लेकिन कई बार ये खेल कई क्रिकेटर्स की जाम तक ले चुका है. ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट फिल ह्यूज की मौत का किस्सा तो आपको याद ही होगा लेकिन आपको पता है कि एक भारतीय क्रिकेट भी मैदान पर खेलते हुए अपनी जान गंवा चुका है. इस क्रिकेटर का नाम है रमन लांबा. दो जनवरी को भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी रमन लाम्बा का जन्मदिन है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में 1960 में हुआ था. रमन ने क्रिकेट का आगाज तो शानदार किया, लेकिन दुर्भाग्यवश अंत दुखद और न भूलने वाला रहा.
अंतरराष्ट्रीय करियर में रमन ने एक शानदार शुरुआत की. घरेलू क्रिकेट में वह एक उम्दा और आक्रामक बल्लेबाज थे, लेकिन नियति ने महज 38 साल की उम्र में इस खिलाड़ी को हम से छीन लिया. क्रिकेट के जुनूनी इस खिलाड़ी ने क्रिकेट के मैदान पर खेलते हुए दम तोड़ा था. लेकिन उनकी मौत स्वाभाविक नहीं थी. फील्डिंग के दौरान दुर्घटनावश गेंद से लगी चोट के कारण ही उनकी जान चली गई. उनकी मौत ने क्रिकेट जगत को स्तब्ध कर दिया. लांबा 20 फरवरी, 1998 को ढाका में बांग्लादेश के क्रिकेट क्लब अबाहानी क्रइरा चाकरा के लिए खेल रहे थे.
अबाहानी के कप्तान खालिद मसूद ने लांबा को शॉर्ट लेग पर लगाया था. ओवर की तीन गेंद बची थी और कप्तान ने लांबा से हेलमेट पहनने के लिए कहा. लेकिन लांबा ने यह कहते हुए हेलमेट पहनने से मना किया कि ओवर में तीन ही गेंद बची हैं. गेंदबाज सैफुल्लाह खान ने गेंद डाली जो शॉर्ट थी और बल्लेबाज मेहराब हुसैन ने उस पर तगड़ा शॉट लगाया. गेंद पास खड़े लांबा के सिर पर लगी और फिर विकेटकीपर मसूद के पास चली गई. 3 दिन तक मौत से लड़ते रहे लांबा इसके बाद लांबा खड़े हुए और ड्रेसिंग रूम में चले गए. लाम्बा की तबीयत बिगड़ने लगी. उन्हें अस्पताल ले जाया गया. दिल्ली से चिकित्सक बुलाए गए, लेकिन लांबा को नहीं बचाया जा सका. तीन दिन बाद 23 फरवरी को ढाका के पोस्ट ग्रेजुएट अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
लांबा ने 1986 में ऑस्ट्रेलिया कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण किया था और पहले मैच में ही 64 रनों की पारी खेली. लांबा ने इस पूरी सीरीज में शानदार बल्लेबाजी की और 55.60 की औसत से दो अर्धशतक और एक शतक की मदद से 278 रन बनाए और मैन ऑफ द सीरीज चुने गए. उन्होंने भारत के लिए कुल 32 एकदिवसीय मैच खेले और 27 की औसत से 783 रन बनाए, जिसमें एक शतक और छह अर्धशतक शामिल हैं. लेकिन लांबा ने अपनी पहली सीरीज में जो प्रदर्शन किया उसे वह आगे कायम नहीं रख पाए.
टेस्ट में उनका प्रदर्शन और निराशाजनक रहा. भारत की तरफ से उन्होंने कुल चार टेस्ट मैच खेले और महज 102 रन बनाए. भारत में क्रिकेट के बाद लांबा ने बांग्लादेश और आयरलैंड में क्लब क्रिकेट भी खेली. आयरलैंड में ही खेलने के दौरान वह किम से मिले, जो बाद में उनकी जीवनसंगिनी बनीं. इन दोनों ने सितंबर 1990 में शादी की.
उनकी पत्नी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, उन्हें बांग्लादेश में क्रिकेट खेलना बेहद प्रिय था. उनकी राय थी कि वहां खेलते हुए आप खुली और शुद्ध हवा में सांस ले सकते हैं. वह बिना किसी राजनीति, प्रतिबंध के वहां आराम करने या क्रिकेट खेलने जा सकते थे. अपने पूरे क्रिकेट करियर में रमन लांबा का खेल के प्रति जुनून शानदार और फोक्स्ड था. उनका यह भी मानना था कि बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड उनके नजरिये को बेहतर ढंग से समझता है.
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