तेहरान. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दो दिवसीय ईरान दौरे के दौरान सोमवार को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह सैयद अली हुसैनी खामेनेई से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने खमनेई को पवित्र कुरान की सातवीं सदी की एक दुर्लभ पांडुलिपि उपहार में दी. जो कि जो कुफिक लिपि में लिखी हुई है और जिसका श्रेय चौथे इस्लामी खलिफा और पहले शिया इमाम हजरत अली को जाता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार कुफिक लिपि में लिखी पांडुलिपि संस्कृति मंत्रालय के नियंत्रणाधीन है और यह उत्तर प्रदेश में रामपुर रजा पुस्तकालय में रखी गई है.
राष्ट्रपति रूहानी को भी दी भेंट
इसके अलावा उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी को मिर्जा गालिब की फारसी में लिखी शायरी के संग्रह ‘कुल्लीयत-ए-फारसी-ए-गालिब’ और सुमेर चंद द्वारा फारसी में अनुवादित रामायण की अधिकृत प्रतिकृति भेंट की है. बता दें कि पहली बार 1863 में प्रकाशित गालिब की इस कृति में 11 हजार शेर हैं. वहीं 1715 में अनुवादित यह रामायण एक दुर्लभ पांडुलिपि है और इसमें 260 से अधिक रेखाचित्र हैं.
इससे पहले प्रधानमंत्री ने पंचतां की फारसी में अनुवादित कॉपी जारी की, जिसमें भारत और ईरान के बीच के सांस्कृतिक संबंधों का जिक्र किया गया है.
बता दें कि मोदी और श्री रूहानी ने द्विपक्षीय वार्ता के दौरान क्षेत्र में बढ़ती अस्थिरता, कट्टरपंथ और आतंकवाद के विषय के अलावा आपसी हित से जुड़े कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की.