नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के ईरान की यात्रा के बाद वापस दिल्ली लौट आए हैं. इस यात्रा के दौरान मोदी ने ईरान के साथ कई महत्वपूर्ण करार किए. ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग और चाबहार पोर्ट पर समझौते पर दस्तखत किए गए. व्यापारिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत 50 करोड़ डॉलर मुहैया कराएगा
क्या है चाबहार समझौता
ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते में चाबहार पोर्ट समझौता बेहद अहम है. पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के बरक्स चाबहार पोर्ट भारत के लिए अहम है.
चाबहार दक्षिण पूर्व ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक बंदरगाह है, इसके जरिए भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान को बाइपास करके अफगानिस्तान के लिए रास्ता बनाएगा. भारत के पश्चिमी तट से फारस की खाड़ी के मुहाने पर स्थित इस बंदरगाह तक आसानी से पहुंचा जा सकता है और इसके लिए पाकिस्तान से रास्ता मांगने की जरूरत नहीं होगी.
भारत-ईरान 2003 में ही इसके लिए सहमत हो गए थे, लेकिन ईरान के खिलाफ पश्चिमी देशों की पाबंदियों के चलते इस पार बात आगे नहीं बढ़ सकी थी. पीएम मोदी ने कहा कि भारत और ईरान के बीच क्षेत्रीय एवं सामुद्रिक सुरक्षा के संबंध में दोनों देशों के रक्षा और सुरक्षा मामलों से जुड़े संस्थानों के बीच संपर्क बढ़ाने पर भी सहमति हुई है.
मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ वार्ता करने के बाद उनके साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम आतंकवाद, चरमपंथ, नशीली दवाओं के व्यापार और साइबर अपराध के खतरों से निपटने के लिए एक-दूसरे के साथ घनिष्ठता के साथ और नियमित रूप से परामर्श करने पर सहमत हुए हैं’.
चाबहार बंदरगाह के विकास के अलावा दोनों पक्षों ने व्यापार, ऋण, संस्कृति, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, और रेलमार्ग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के कई और समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए. मोदी ने चाबहार बंदरगाह और उससे संबंधित बुनियादी ढांचों के विकास तथा इसके लिए भारत की ओर से करीब 50 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराने के समझौते को ‘एक महत्वपूर्ण घटना बताया’. उन्होंने कहा, ‘इस बड़ी पहल से इस क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. हम आज हुए समझौतों के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हैं’.