साउथ की फिल्मों का अपना स्वैग होता है और अगर फिल्मों के किरदारों की बात करें तो 'थलाइवा' यानी बॉस और 'भगवान' कहे जाने वाले सुपरस्टार रजनीकांत की तो बात ही कुछ और है. साल के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर, 2017 को उन्होंने बीते कई माह से राजनीति में आने को लेकर चल रहे सस्पेंस पर विराम लगा दिया. बस कंडक्टर से लेकर फिल्मों के भगवान बनने तक सुपरस्टार रजनीकांत की जिंदगी का कुछ ऐसा रहा सफर.
चेन्नई/नई दिल्लीः साउथ की फिल्मों का अपना स्वैग होता है और अगर फिल्मों के किरदारों की बात करें तो ‘थलाइवा’ यानी बॉस और ‘भगवान’ कहे जाने वाले सुपरस्टार रजनीकांत की तो बात ही कुछ और है. साल के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर, 2017 को उन्होंने बीते कई माह से राजनीति में आने को लेकर चल रहे सस्पेंस पर विराम लगा दिया. वह राजनीति में कदम रखने जा रहे हैं और नई पार्टी बनाएंगे. रजनीकांत की पार्टी तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी. बस कंडक्टर से लेकर फिल्मों के भगवान बनने तक सुपरस्टार रजनीकांत की जिंदगी का कुछ ऐसा रहा सफर.
12 दिसंबर, 1950 को बंगलुरू के एक साधारण से मराठा परिवार में रजनीकांत का जन्म हुआ था. उनके माता-पिता ने उनका नाम शिवाजी राव गायकवाड़ रखा था. इसी साल बीते 12 दिसंबर को वह 67 साल के हो गए.
चार भाई-बहनों में रजनीकांत सबसे छोटे हैं. रजनीकांत के पिता रामोजी राव गायकवाड़ हवलदार थे. मां जीजाबाई की मौत के बाद रजनीकांत परिवार को आर्थिक सहारा देने के लिए बतौर कुली पार्ट टाइम काम करने लगे.
इसके बाद रजनीकांत बंगलुरू परिवहन सेवा (बीटीएस) में बतौर बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे. रजनीकांत की बचपन से फिल्मों में दिलचस्पी थी और वह एक्टिंग के क्षेत्र में नाम कमाना चाहते थे.
बस कंडक्टर रहते हुए भी वह अपने इस सपने को पूरा करना चाहते थे. इसी शौक के चलते उन्होंने साल 1973 में मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट से एक्टिंग में डिप्लोमा कोर्स कर लिया.
एक नाटक के मंचन के दौरान रजनीकांत की मुलाकात फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर से हुई. बालाचंदर ही वो शख्स थे, जिन्होंने रजनीकांत को तमिल फिल्म में काम करने का ऑफर दिया था.
बालाचंदर निर्देशित तमिल फिल्म ‘अपूर्वा रागंगाल’ (1975) से रजनीकांत के फिल्मी करियर की शुरूआत हुई. इस फिल्म में वह खलनायक की भूमिका में थे. फिल्म में उनके काम को काफी सराहा गया. इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया था.
‘अपूर्वा रागंगाल’ के बाद उसी साल उन्हें तेलुगू फिल्म ‘छिलाकाम्मा चेप्पिनडी’ में हीरो का रोल मिला. फिर क्या था, बड़े पर्दे पर अपने सपने को जीते हुए रजनीकांत ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरे-धीरे वह तमिल फिल्मों में अपनी एक्टिंग के बल पर लोगों के दिलों पर राज करने लगे.
रजनीकांत ने दक्षिण भारत से बाहर निकलते हुए बॉलीवुड में भी कदम रखा. रजनीकांत ने इंसाफ कौन करेगा, असली-नकली, मेरी अदालत, जॉन जॉनी जनार्दन, भगवान दादा, दोस्ती दुश्मनी, हम, खून का कर्ज, क्रांतिकारी, अंधा कानून, चालबाज, इंसानियत का देवता जैसी हिंदी फिल्मों में भी अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया.
बहुत कम लोग जानते होंगे कि मूल रूप से मराठी रजनीकांत ने कभी मराठी फिल्मों में ही काम नहीं किया. वह तमिल, तेलुगू, हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़, मलयालम भाषाओं की फिल्मों में काम कर चुके हैं.
साउथ के सुपरस्टार कमल हासन रजनीकांत के फेवरेट एक्टर हैं. दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम भी किया है. ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी और रेखा भी रजनीकांत की पसंदीदा अभिनेत्रियां हैं.
रजनीकांत ने पिछले कई सालों से फिल्मों में मौत का सीन नहीं किया है. फिल्म मेकर्स का मानना है कि अगर उन्होंने फिल्म में रजनीकांत को मरते हुए दिखाया तो फिल्म फ्लॉप हो जाएगी.
साल 2000 में रजनीकांत को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. साल 2014 में रजनीकांत को 6 तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड्स से नवाजा गया. इन 6 अवॉर्ड्स में 4 में तो सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुने गए थे. वहीं दो स्पेशल अवॉर्ड उन्हें बेस्ट एक्टर के लिए मिले थे.
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