ट्रिपल तलाक बिल: 6 दिसंबर, 1992 जैसा था उस दिन लोकसभा का माहौल- सांसद असदुद्दीन ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गए तीन तलाक बिल को लेकर हुई चर्चा की तुलना बाबरी विध्वंस की घटना से की है. इंडिया टुडे ग्रुप की खबर के मुताबिक, ओवैसी ने कहा, 'तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा का माहौल 6 दिसंबर, 1992 की तरह था. हम न ही 6 दिसंबर को भूल सकते हैं और न ही लोकसभा में बीते गुरुवार के दृश्य को कभी भूल पाएंगे.'

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ट्रिपल तलाक बिल: 6 दिसंबर, 1992 जैसा था उस दिन लोकसभा का माहौल- सांसद असदुद्दीन ओवैसी

Aanchal Pandey

  • December 30, 2017 1:45 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी के मुखिया और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गए तीन तलाक बिल को लेकर हुई चर्चा की तुलना बाबरी विध्वंस की घटना से की है. इंडिया टुडे ग्रुप की खबर के मुताबिक, ओवैसी ने कहा, ‘तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा का माहौल 6 दिसंबर, 1992 की तरह था. हम न ही 6 दिसंबर को भूल सकते हैं और न ही लोकसभा में बीते गुरुवार के दृश्य को कभी भूल पाएंगे.’

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और तमाम मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद तीन तलाक बिल के लोकसभा में पास होने पर ओवैसी ने कहा, अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक कहकर छोड़ देता है, तो वह अपराध है और इसे रोका जाना चाहिए. लेकिन इस बात का समर्थन करने के लिए ऐसा कोई तथ्य या आंकड़ा मौजूद नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि यह एक सामाजिक बुराई है जो समाज को नुकसान पहुंचाती है.’

बिल में तीन साल की जेल पर नाराजगी जाहिर करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि महज तीन तलाक कहने से शादी खत्म नहीं होगी तो इसके लिए तीन साल की जेल की क्या जरूरत है? हमारे पास महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बहुत से कानून हैं, जिसमें IPC की धारा 498 ए, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 और मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत धारा 20 और 22 शामिल है.’

ओवैसी ने बिल में खामी पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर तीन तलाक कहने वाला शख्स दोषी पाया जाता है और उसे तीन साल की जेल हो जाती है तो उसकी पत्नी को भत्ता या मुआवजा कौन देगा. ओवैसी ने बीजेपी पर इस बिल को लेकर दिए उनके सुझावों को नकारने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, तीन तलाक बिल में उन्मूलन और त्याग करने के प्रावधानों में संशोधन के लिए उन्होंने सुझाव दिया था, जिसे खारिज कर दिया गया. बीजेपी ने अपने स्वार्थों के लिए मेरे संशोधन के सुझाव को नकार दिया, जबकि कांग्रेस यह साबित करना चाहती है कि वो बीजेपी की तुलना में अधिक हिंदू समर्थक है.

इस दौरान ओवैसी ने मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में 7 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर सरकार को को लगता है कि मुस्लिम महिलाओं को शिक्षित किया जाना चाहिए, तो उन्हें आरक्षण दे देना चाहिए. ओवैसी ने कहा कि इस बिल के पास होने से सभी राजनैतिक दलों की पोल खुल गई है. धर्मनिरपेक्षता पर उनके विचारों का पर्दाफाश हो गया है. ओवैसी ने भी इस बात से इनकार किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिम महिलाओं के समर्थक हैं. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी मुस्लिम वोट खोने से डरते हैं. बताते चलें कि लोकसभा में तीन तलाक बिल पास होने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मामले में कोर्ट जाने की बात कही थी.

 

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