कुमार विश्वास दिल्ली के चुनाव हों या पंजाब के, हर जगह आप के स्टार प्रचारक रहे हैं जिनको सुनने लोग आते हैं. कुमार विश्वास और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया गहरे दोस्त हैं, बचपन वाले. अगर कुमार विश्वास की राज्यसभा जाने की हसरत को लेकर आप के अंदर राजनीतिक संकट खड़ा होता है तो सिसोदिया पार्टी और अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े होंगे या दोस्त के साथ, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है क्योंकि केजरीवाल चाहे-अनचाहे सिसोदिया को नाराज नहीं करना चाहेंगे जिनकी छवि एक कुशल प्रशासक के रूप में कहीं से कमजोर नहीं है.
नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी के अंदर एक बार फिर तनाव बढ़ रहा है और इस बार तनाव के दो सिरे पर एक तरफ पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो दूसरे सिरे पर पार्टी के स्टार प्रचारक और कवि कुमार विश्वास हैं. राजनीतिक घटनाक्रम जिस तरफ बढ़ रहा है उसमें इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के बाद कुमार विश्वास आप के तीसरे ऐसे बड़े नेता बन जाएं जिन्हें पार्टी निकाल दे या वो पार्टी छोड़ दें. आम आदमी पार्टी मुख्यालय में गुरुवार को कुमार विश्वास समर्थकों ने डेरा-डंडा डालकर उन्हें राज्यसभा भेजने की मांग की थी जिन्हें हटाने के लिए पुलिस बुलानी पड़ गई.
16 जनवरी को राज्यसभा की 4 सीटों के लिए चुनाव और 1 सीट के लिए उप-चुनाव है जिसमें 3 सीटें दिल्ली की हैं और ये तीनों सीटें इस बार आम आदमी पार्टी के पाले में हैं. बाकी 2 सीटों में एक सिक्किम की है और दूसरी यूपी की वो राज्यसभा सीट है जो मनोहर पर्रिकर के इस्तीफे से खाली हुई है. इन सारी सीटों के लिए 30 दिसंबर से नामांकन शुरू हो रहा है जिसकी आखिरी तारीख 5 जनवरी है. कुमार विश्वास की हसरत है कि पार्टी उनके काम का ईनाम उन्हें राज्यसभा में भेजकर दे क्योंकि वो पार्टी के कहने पर 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ हारने के लिए लड़े थे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीटर पर समाचार चैनल एबीपी को दिया हुआ एक पुराना इंटरव्यू रीट्वीट किया है जिसमें वो कह रहे हैं, “जिन जिन लोगों को देश के लिए काम करना है वो पार्टी में आएं. जिन-जिन लोगों को पद और टिकट का लालच है, आज पार्टी छोड़कर चले जाएं. वो गलत पार्टी में आ गए हैं.” केजरीवाल ने एक पुराना इंटरव्यू और उसमें कही बात दोबारा शेयर की है तो इसका सीधा संबंध आम आदमी पार्टी में राज्यसभा टिकटों के लिए मचे घमासान से है और बिना किसी का नाम लिए वो कुमार विश्वास को कह रहे हैं कि अगर टिकट या पद की चाहत में हैं तो पार्टी छोड़कर जा सकते हैं. केजरीवाल का ये मैसेज आने से पहले ही कुमार विश्वास को आभास हो चुका है कि आम आदमी पार्टी उनको राज्यसभा में नहीं भेजने के मूड में है तभी तो वो खुद ही खुद को अभिमन्यु घोषित कर चुके हैं और कह चुके हैं कि अभिमन्यु वध में भी उसकी विजय है.
जिन जिन लोगों को पद और टिकट का लालच है, आज पार्टी छोड़ कर चले जाएं। वो गलत पार्टी में आ गए हैं। – @ArvindKejriwal pic.twitter.com/RHzvbIDZYX
— Nihar Nathani (@Nihar_Nathani) December 28, 2017
कुमार विश्वास ने गुरुवार यानी आम आदमी पार्टी दफ्तर में अपने समर्थकों के हंगामे के दिन ही ट्वीट किया है, “मैंने आप सब से सदा कहा है, पहले देश, फिर दल, फिर व्यक्ति. आम आदमी पार्टी मुख्यालय पर जमा कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि स्वराज, Back2Basic, पारदर्शिता के मुद्दों के लिए संघर्ष करें, मेरे हित-अहित के लिए नहीं. स्मरण रखिए अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है.” जाहिर है कि कुमार विश्वास को आशंका है कि या तो वो पार्टी उनको निकाल सकती है या ऐसे हालात पैदा हो जाएंगे कि उनको पार्टी छोड़कर जाना पड़ेगा इसलिए वो खुद को अभिमन्यु की तरह पेश करने और उस वध में भी अपनी जीत तलाशने पर उतर आए हैं.
मैनें आप सब से सदा कहा है,पहले देश,फिर दल,फिर व्यक्ति🙏@AamAadmiParty मुख्यालय पर जमा कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि स्वराज,Back2Basic,पारदर्शिता के मुद्दों के लिए संघर्ष करें,मेरे हित-अहित के लिए नहीं.स्मरण रखिए अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है👍🇮🇳
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) December 28, 2017
आम आदमी पार्टी से योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को बेइज्जत करके निकाला गया था और उसके बाद कपिल मिश्रा बागी हो गए जो अब भी रह-रहकर केजरीवाल पर हमले करते रहते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी उनको बीजेपी की बी-टीम बताती है. कुमार विश्वास दिल्ली के चुनाव हों या पंजाब के, हर जगह आप के स्टार प्रचारक रहे हैं जिनको सुनने लोग आते हैं. कुमार विश्वास और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया गहरे दोस्त हैं, बचपन वाले. अगर कुमार विश्वास को लेकर आप के अंदर राजनीतिक संकट खड़ा होता है तो सिसेदिया पार्टी के साथ खड़े होंगे या दोस्त के साथ, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है क्योंकि केजरीवाल चाहे-अनचाहे सिसोदिया को नाराज नहीं करना चाहेंगे जिनकी छवि एक कुशल प्रशासक के रूप में कहीं से कमजोर नहीं है.
‘आप’ के महाभारत में ‘अभिमन्यु’ कुमार विश्वास के वध के लिए केजरीवाल और सिसोदिया का जयद्रथ कौन बनेगा ?