नई दिल्ली. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के दो वर्षो के दौरान एक नई त्रिमूर्ति पैदा हुई है, जिसके कारण देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों में गिरावट आई है. येचुरी ने माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी के ताजा अंक में लिखा है, “इन दो वर्षो के दौरान हमारे लोगों के एक बड़े हिस्से पर आर्थिक बोझ में तीव्र वृद्धि हुई है.”
येचुरी ने लिखा, “अब तक यह स्पष्ट हो गया है कि ये जो नई त्रिमूर्ति बनी है, वह देश के एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य में गिरावट और हमारे लोगों की एक विशाल आबादी की आजीविका पर एक बड़े हमले के लिए जिम्मेदार है.”
येचुरी ने कहा कि मोदी सरकार का तीसरा वर्ष शुरू होने जा रहा है, ऐसे में इस विनाशकारी गतिविध को रोका जाना चाहिए और हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों को नकारने वाले सभी प्रयासों को परास्त किया जाना चाहिए. येचुरी के अनुसार, मोदी ने मई 2014 में जब से सत्ता संभाली है, तब से देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को आरएसएस के एक असहिष्णु फासिस्टवादी हिंदुत्व राष्ट्र में बदलने की कोशिश में एक आक्रामक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का लगातार मुहिम चलाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक सुधारों के नव उदारवादी रास्ते पर भी चल रही है, और इस दिशा में उसकी आक्रामकता मनमोहन सिंह की सरकार से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि यह सरकार हमारे लोगों पर अभूतपूर्व बोझा थोप रही है. येचुरी ने कहा, “अधिनायकवादी उपायों में वृद्धि हो रही है, जिससे संसदीय लोकतांत्रिक संस्थान कमजोर हो रहे हैं और लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक आजादी की उपेक्षा की जा रही है.”