कहां तो सीएम बनने चले थे और कहां अपनी ही सीट हार गए

राजनीति और चुनाव में कब आप आसमान पर पहुंच जाएं और कब जमीन पर गिर जाएं, पता नहीं चलता. बंगाल और तमिलनाडु में तीन ऐसे बड़े-बड़े नेता अपनी ही सीट हार गए जो पार्टी या गठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार थे.

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कहां तो सीएम बनने चले थे और कहां अपनी ही सीट हार गए

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  • May 19, 2016 2:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. राजनीति और चुनाव में कब आप आसमान पर पहुंच जाएं और कब जमीन पर गिर जाएं, पता नहीं चलता. पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में तीन ऐसे बड़े-बड़े नेता अपनी विधानसभा सीट से ही हार गए हैं जो अपनी पार्टी या गठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री के घोषित उम्मीदवार थे.
 
सूर्यकांता मिश्रा, सीएम उम्मीदवार- लेफ्ट फ्रंट-कांग्रेस गठबंधन, पश्चिम बंगाल
 
पश्चिम बंगाल में ज्योति बसु के बाद दूसरी बार सीपीएम ने अपने किसी राज्य सचिव यानी सूर्यकांता मिश्रा को मुख्यमंत्री का कैंडिडेट घोषित किया था लेकिन वो अपनी नारायनगढ़ सीट ही बचाने में नाकाम रहे. सूर्यकांता लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनने की सूरत में सीएम बनते लेकिन ममता लहर ऐसी चली कि 1982 से ही लेफ्ट के कब्जे में रही ये सीट गंवा बैठे. 
 
खुद सूर्यकांता इस सीट को 1991 से लगातार जीत रहे थे और तब भी जीते जब 2011 में ममता ने सीपीएम के कई बड़े नेताओं को विधानसभा तक नहीं पहुंचने दिया था. सूर्यकांता विधानसभा में विपक्ष के नेता बने, फिर राज्य सचिव बने और पोलित ब्यूरो के सदस्य भी बने. पेशे से डॉक्टर सूर्यकांता को टीएमसी के प्रद्युत कुमार घोष ने 99311 वोट लाकर करीब 14 हजार वोट से हराया है. बीजेपी को इस सीट पर मात्र 10262 वोट मिले.
 
विजयकांत, सीएम उम्मीदवार- डीएमडीके, टीएमसी और पीपुल्स वेलफेयर फ्रंट गठबंधन, तमिलनाडु
 
बंगाल के बाद तमिलनाडु चलते हैं जहां मुख्यमंत्री पद के लिए चार उम्मीदवार थे. एक तो एआईएडीएमके की तरफ से सीएम जयललिता और डीएमके की तरफ से करुणानिधि खुद थे. इनके अलावा डीएमडीके सुप्रीमो विजयकांत पीपुल्स वेलफेयर फ्रंट के सीएम कैंडिडेट थे जबकि अंबुमणि रामदॉस अपनी पार्टी पीएमके के सीएम उम्मीदवार थे.
 
विजयकांत जिस फ्रंट के सीएम कैंडिडेट थे उसमें वाइको की एमडीएमके, सीपीएम, सीपीआई, वीसीके और जीके वासन की तमिल मनीला कांग्रेस शामिल थी. इस चुनाव में इस पूरे के पूरे गठजोड़ की किसी भी पार्टी का खाता नहीं खुला. 2011 में डीएमडीके को 29, सीपीएम को 10, सपीआई को 9 सीट मिली थी और तब ये तीनों जयललिता के मोर्चे में थे.
 
विजयकांत के लिए सबसे दुखदायी ये रहा कि वो अपनी सीट उलुंदुरपेट्टई हारे तो हारे, तीसरे नंबर पर चले गए. उनकी सीट पर जयललिता की पार्टी के आर कुमारगुरु ने 81973 वोट लेकर जीत दर्ज की है. दूसरे नंबर पर भी करुणानिधि की पार्टी के जीआर वसंतावेल रहे जिन्हें 77809 वोट मिले. विजयकांत को महज 34447 वोट मिले.
 
तमिल फिल्मों के सुपरस्टार विजयकांत ने 2006 में डीएमडीके बनाया था. 2006 में उनकी पार्टी सारी सीटों पर लड़ी थी लेकिन जीती थी सिर्फ 1 जिस पर वो खुद लड़े थे. 2011 में जयललिता ने साथ रखा तो 41 सीट पर लड़े और 29 जीत गए. विजयकांत ने तमिलनाडु की जनता से सीएम बनने पर पेट्रोल 45 रुपए और डीजल 35 रुपए फिक्स रेट पर बेचने का वादा किया था.
 
अंबुमणि रामदॉस, सीएम उम्मीदवार- पीएमके
 
तमिलनाडु में चौथे सीएम उम्मीदवार थे पीएमके के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदॉस. रामदॉस की पार्टी पीएमके का मात्र एक विधायक इस बार विधानसभा पहुंच पाया है लेकिन वो खुद रामदॉस नहीं हैं. उनकी पार्टी से ए सत्यामूर्ति बहुत छोटे मार्जिन से पप्पीरेड्डापट्टी सीट जीत रहे हैं. 2011 में पीएमके के 3 विधायक जीते थे जब वो करुणानिधि के साथ लड़े थे.
 
रामदॉस पेननगरम सीट से लड़े थे जहां उन्हें डीएमके के पीएनपी इनबासेकरन ने हराया है. पीएनपी को 76231 वोट मिले जबकि रामदॉस को 57501 वोट. जयललिता की पार्टी के केपी मुनुस्वामी 50985 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे.
 
मनमोहन सिंह की पहली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदॉस फिलहाल धर्मपुरी सीट से लोकसभा सदस्य हैं. ये सीट उन्होंने एनडीए के साथ जीता था. रामदॉस ने कहा था कि उनकी सरकार बनी तो सारी मुफ्त चीजें बंद होंगी क्योंकि ये लोगों को आलसी बनाती हैं. रामदॉस ने भी करुणानिधि की तरह पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था.

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