मुबंई. बैंकों के हजारों करोड़ का लोन नहीं चुकाने के मामले में डिफॉल्टर घोषित हो चुके माल्या ने भारत वापिस आने के लिए शर्ते रखी है. माल्या ने कहा है कि वह भारत आना चाहते हैं बशर्ते उनकी सुरक्षा और आजादी का सरकार को पूरा भरोसा देना होगा. यूबीएल की बोर्ड मीटिंग हुई जिसकी अध्यक्षता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये खुद विजय माल्या ने की.
इस बैठक में शामिल हुए निदेशकों के अनुसार माल्या पर बकाया ऋण चुकाने के लिए बैंकों का दवाब लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में माल्या ने कहा है कि उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक को समझौते का नया ऑफर दिया है और उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में बात आगे बढ़ेगी.
यहां तक की प्रवर्तन निदेशालय भी ब्रिटेन से माल्या का प्रत्यर्पण चाहता है, जहां वो पिछले दो महीने से रह रहे हैं. मुबंई में हुई बोर्ड मीटिंग में शामिल निदेशकों ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि यूबीएल के चैयरमैन को बोर्ड और स्ट्रैटेजिक पार्टनर हेनेकेन का सपोर्ट है.
आपको बता दें कि माल्या पर इस समय बैंको का 9000 करोड़ रुपए का ऋण बकाया है और मनी लांड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय उनसे पूछताछ करना चाहता है। बोर्ड के ही एक इंडिपेंडेट मेंबर सुनील अलघ ने बताया, ‘माल्या बैंको के साथ गंभीरता से बात कर रहे हैं। माल्या ने हमसे कहा कि उन पर लगाए जा रहे आरोप गलत हैं और उनका इरादा लोन चुकाने का है। बोर्ड अभी भी माल्या के समर्थन में है और वह इसे कॉरपोरेट गवर्नेंस का मुद्दा नहीं मान रहा है। अगस्त में होने वाली बोर्ड की अगली बैठक में इस मामले पर चर्चा की जाएगी।’