मालेगांव ब्लास्ट: NIA का दावा, साध्वी-पुरोहित को ATS ने फंसाया

एनआईए ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है. NIA ने दाखिल अपने पत्र में कहा कि साध्वी और पुरोहित को ATS फंसा रही है. इस मामले के एक और मुख्य आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित पर मकोका की कड़ी धाराएं हटाते हुए एनआईए ने कहा है कि पुरोहित के क्वार्टर में महाराष्ट्र एटीएस ने ही आरडीएक्स रखा था.

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मालेगांव ब्लास्ट: NIA का दावा, साध्वी-पुरोहित को ATS ने फंसाया

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  • May 14, 2016 4:26 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. एनआईए ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है. NIA ने  दाखिल अपने पत्र में कहा कि साध्वी और पुरोहित को ATS फंसा रही है. इस मामले के एक और मुख्य आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित पर मकोका की कड़ी धाराएं हटाते हुए एनआईए ने कहा है कि पुरोहित के क्वार्टर में महाराष्ट्र एटीएस ने ही आरडीएक्स रखा था. 
 
NIA का दावा
एनआईए ने कोर्ट में दाखिल किए गए पूरक आरोप पत्र में कहा है कि आरोपियों को मालेगांव धमाकों की साजिश की जानकारी नहीं थी. जांच एजेंसी ने दावा किया कि जांच के दौरान प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं पाए गए.
 
एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में कहा कि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा चलाने लायक नहीं है. इस आरोप पत्र के बाद अब साध्वी प्रज्ञा के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है. धमाके में इस्तेमाल हुई बाइक के साध्वी की होने की बात कही थी. इस आरोप में 24 अक्तूबर 2008 को प्रज्ञा गिरफ्तार की गई थीं.
 
जांच एजेंसी ने कहा कि धमाकों के एक और आरोपी कर्नल पुरोहित के खिलाफ पेश सबूत गलत थे.  मुंबई एटीएस के संयुक्त आयुक्त हेमंत करकरे ने मामले की शुरुआती जांच की थी. एनआईए के एक अधिकारी के अनुसार, हमारे पास सबूत हैं कि आरडीएक्स धमाके बाद प्लांट किया गया था.
 
क्या है मामला
29 सितंबर 2008 को रमजान के दौरान नासिक जिले के मालेगांव में दो बम धमाके हुए थे. धमाकों में 7 लोग मारे गए थे और करीब 79 लोग घायल हो गए थे. मालेगांव धमाकों की जांच में कई उतार-चढ़ाव आते रहे हैं. पहले इसमें सिमी का हाथ माना गया.
 
लेकिन बाद में इस धमाके के लिए हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों को जिम्मेदार बताया गया. 2011 में मामला एनआईए को सौंपे जाने से पहले एटीएस ने 16 लोगों पर मामला दर्ज किया था. लेकिन मुंबई की एक कोर्ट में 20 जनवरी 2009 और 21 अप्रैल 2011 को 14 आरोपियों के खिलाफ ही आरोप-पत्र दाखिल किए गए. 
 

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