वाशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी संसद के निचले सदन के स्पीकर पॉल रयान से गुरुवार को मुलाकात के बाद अपने सुर ढीले कर लिए हैं और अपने तमाम विवादित बयानों और प्रस्तावों को सलाह भर बताना शुरू कर दिया है.
मुसलमानों, अप्रवासियों और महिलाओं पर अपने भड़काऊ बयानों से एक के बाद एक राजनीतिक विवाद खड़ा करते रहे ट्रंप ने यह कहकर पार्टी के अंदर अपने विरोधियों के साथ ‘कॉमन ग्राउंड’ बनाने की पहल की है कि उनके ये सारे विवादित प्रस्ताव सलाह भर हैं.
रयान से मुलाकात के बाद बदले-बदले नजर आए ट्रंप
गुरुवार की बैठक से पहले ट्रंप ने कहा था कि वो रयान से मिलेंगे और फिर दोनों अपने-अपने रास्ते पर बढ़ जाएंगे. ट्रंप ने ये भी संकेत दिया था कि जुलाई में पार्टी के सम्मेलन की अध्यक्षता का काम वो रयान के हाथ में नहीं देखना चाहेंगे क्योंकि रयान ने खुलकर कह दिया था कि वो इस समय ट्रंप को सपोर्ट नहीं कर सकते क्योंकि उनके बयान में रिपब्लिकन पार्टी की नीतियों और सिद्धांत की झलक नहीं है.
गुरुवार की बैठक के बाद ट्रंप और रायन दोनों की दूरियां कम होती दिख रही हैं. मीटिंग के बाद रयान ने कहा कि ट्रंप से उनकी मुलाकात अच्छी रही लेकिन उनके बीच मतभेद कायम हैं और वो इस पर आगे भी बात करते रहेंगे. मतलब, ट्रंप ने जो कहा था कि मीटिंग के बाद दोनों अपने-अपने रास्ते पर बढ़ जाएंगे, उसके उलट दोनों आगे भी मिलने की बात करने लगे हैं.
पहले अपने-अपने रास्ते पर जाने की बात की थी, अब और बात करेंगे
बैठक के बाद ट्रंप और रयान का साझा बयान भी इसी ओर इशारा करता है जिसमें कहा गया, “हम और भी बात करेंगे लेकिन आश्वस्त हैं कि पार्टी को एकजुट करने और इस बार जीतने का शानदार मौका है. और हम उस लक्ष्य को पाने के लिए साथ काम करने को समपर्ति हैं.”
दरअसल, ट्रंप को भी अब महसूस होने लगा है कि मुसलमानों, अप्रवासियों या महिलाओं को लेकर उन्होंने जो भी तीखे बयान दिए हैं उससे उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में वोट मिलने में कोई खास मदद नहीं मिलने वाला है. इसलिए अब ट्रंप इन मसलों पर अब तक के अपने सारे विवादित प्रस्तावों को “लचीला सलाह” बताने लगे हैं.
ट्रंप को पसंद करें या न करें, बड़े नेता खुलकर विरोध नहीं कर सकते
एक सच्चाई ये भी है कि ज्यादा रिपब्लिकन सांसद ट्रंप को पसंद नहीं करते लेकिन जिस तरह से पार्टी की यूनिट्स ने ट्रंप को उम्मीदवार बनाने के समर्थन में वोट किया है उस हालात में ज्यादातर उनके खिलाफ खुलकर आने से बच रहे हैं. कुछ लोग तीसरे उम्मीदवार को उतारने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन रयान जैसे बड़े नेता भले ही ट्रंप को पसंद करें या न करें पर खुलकर ट्रंप के खिलाफ काम नहीं कर सकते.
रयान जैसे नेता असल में उलझन में हैं. इन लोगों ने पिछले कुछ महीनों में पार्टी को एकजुट करने और एक कॉमन ग्राउंड बनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन ट्रंप के शोर में वो सब बिखरता नजर आ रहा है. रयान की छवि अच्छे और बुद्धिमान उदारवादी नेता की है और वो अगर ट्रंप के साथ दिखते हैं तो अपनी इस इमेज के साथ समझौता करते दिखेंगे.
तार्किक बातें करने लगे हैं ट्रंप क्योंकि जीत के लिए सबका साथ जरूरी है
इसलिए रयान और ट्रंप की मुलाकात के बाद ट्रंप ज्यादा तार्किक बातें करते नज़र आ रहे हैं. मुसलमानों की अमेरिका में एंट्री पर बैन लगाने जैसी बातें करने वाले ट्रंप अब अगर यह कह रहे हैं कि उनकी नीतियां एक सलाह भर हैं और वो इसको लेकर बहुत खुले हैं तो साफ समझा जा सकता है कि ट्रंप उन नेताओं को मनाने की कोशिश कर रहे हैं जो उनसे दूरी बना चुके हैं.
ट्रंप को मालूम है कि अगर अपनी विवादित नीतियों और बयानों में वो पर्याप्त सुधार नहीं करते हैं तो वो नहीं जीत सकते भले ही पार्टी के उम्मीदवार भले बन जाएं. ट्रंप अगर अपना रवैया और अपने सुर में नरमी लाते हैं तो उन रिपब्लिकन नेताओं को अपने पास लाने में कामयाब हो सकते हैं जो उनसे दूर चल रहे हैं.
(अंशुल राणा आईआईएमसी से रेडियो और टीवी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा करने के बाद कई समाचार चैनलों और अंतराष्ट्रीय अखबारों में काम करने के बाद फिलहाल जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में विजिटिंग रिसर्च एसोसिएट और वर्ल्ड बैंक में सलाहकार हैं.)