बहुत कम लोगों को पता है कि श्रीलंका के खिलाफ दूसरे वनडे में अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज करने वाले वॉशिंगटन सुंदर सिर्फ एक कान से ही सुन पाते हैं. इसके बावजूद उन्होंने केवल 18 साल की उम्र में भारत की तरफ से डेब्यू कर लिया.
नई दिल्ली: कहते है तमाम परेशानियों के बाद भी अगर आप सच्ची लगन से मेहनत करें तो उस संघर्ष का फल आपको एक दिन जरूर मिलता है. कई बार इसका उदाहरण हम पहले ही दिख चुके हैं लेकिन श्रीलंका के खिलाफ दूसरे वनडे में भारत के एक ऐसे खिलाड़ी ने अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज किया जो एक बहुत बड़ी बीमारी से पीड़ित है. इस खिलाड़ी का नाम है ’वॉशिंगटन सुंदर’. इस खिलाड़ी की कहानी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. तमाम मुश्किलों से पार पाते हुए इस खिलाड़ी ने भारत के ड्रेसिंग रूम में अपनी जगह बनाई.
चलिए, राज पर से पर्दा हटाते हैं और अब बताते हैं कि क्यों हम इस खिलाड़ी के इतने गुणगान कर रहे हैं. दरअसल 5 अक्टूबर 1999 को तमिलनाडु के एक मिडिल क्लास में जन्म लेने वाले वॉशिंगटन सुंदर को बहुत कम उम्र में पता चल गया था कि वह एक कान से नहीं सुन पाते. आश्चर्य की बात ये भी है कि उनके माता पिता को भी काफी समय तक इसका पता नहीं था लेकिन एक दिन दुखी होकर सुंदर ने ही उन्हे बता दिया कि वह एक कान से सुन नहीं पाते और उनका एक ही कान काम करता है.
ये बात सुनकर सुंदर की मां को धक्का लगा और वह उसी समय सुंदर को डॉक्टर के दिखाने ले गई, लेकिन तमाम मेडिकल कोशिशों के बाद भी सुंदर की इस बीमारी का इलाज नहीं हो पाया और अब तक वह इस बीमारी से जूझ रहे हैं. वॉशिंगटन सुंदर ने एक इंटरवियू में बताया कि उन्हे एक कान से ना सुन पाने की वजह से काफी परेशानी होती थी. यहां तक की क्रिकेट खेलते हुए कई साथी भी उनसे गुस्सा हो जाते थे कि वह उनकी बात नहीं सुन रहे. सुंदर ने बताया कि मुझे पता होता था कि मेरे साथी खिलाड़ियों को काफी परेशानी होती थी लेकिन फिर भी उन्होंने मुझे सपोर्ट किया हालांकि कई बार वो गुस्से होते लेकिन कुछ ही पल में वह बात को भूल भी जाते थे.
अब जब वह भारत की तरफ से पहली बार मैदान पर उतरे तो बिना कोई गेंद खेले और बिना कोई गेंद फेंके ही उन्होंने एक बड़ा रिकॉर्ड बना दिया. 18 साल 69 दिन की उम्र में डेब्यू करने वाले सुंदर हाल के दिनों में सबसे युवा डेब्यूटेंट बन गए हैं. उनसे पहले पीयूष चावला ने 17 साल 75 दिनों की उम्र में 2006 में और पार्थिव पटेल ने 2003 में 17 साल 301 दिन की उम्र में डेब्यू किया था. भारत की तरफ से सबसे कम उम्र में डेब्यू करने का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम हैं जिन्होंने 16 साल 238 दिन की उम्र में भारत की तरफ से अपना पहला मैच खेला था.
वॉशिंगटन सुंदर ने 2016 में तमिलनाडु रणजी टीम में जगह बना ली थी. उनकी प्रतिभा को देखते हुए आईपीएल की पुणे सुपरजायंट्स टीम ने उन्हें खुद से जोड़ा. 2017 के आईपीएल में वॉशिंगटन ने खुद को साबित किया. सुंदर ने स्टीवन स्मिथ की कप्तानी वाली राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन राष्ट्रीय टीम के लिए इतना काफी नहीं था. इस साल रणजी में भी उन्होंने शानदार खेल दिखाया जिसकी बदौलत वो आज यहां पहुंचे है. हालांकि तमिलनाडु प्रीमियर लीग में उन्होंने अपनी टीम की तरफ से ओपनिंग करते हुए लगातार 4 अर्धशतक भी लगाए थे. सुंदर अपने पहले मैच में कुछ ज्यादा अच्छा नहीं कर पाए. बल्लेबाजी में उन्हे मौका नहीं मिला लेकिन गेंदबाजी में उन्होंने 10 ओवर में 64 रन देकर 1 विकेट भी हासिल किया. हालांकि उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर की 9वीं ही गेंद पर
We have a new kid on the block. Washington Sundar is all set to make his ODI debut here in Mohali #TeamIndia #INDvSL pic.twitter.com/VxquVkgSIa
— BCCI (@BCCI) December 13, 2017
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