पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन यात्रा का दूसरा दिन बीजिंग में बिताया. यहां उनके सामने भारत और चीन के बीच 63 हजार करोड़ रुपए निवेश के 24 करार पर दस्तखत हुए. मोदी ने चीनी प्रधानमंत्री के साथ बातचीत की, भारत-चीन के नेताओं के फोरम को संबोधित किया, शिन्हुआ यूनिवर्सिटी में सवालों के जवाब दिए और टेंपल ऑफ हेवन में योग और ताईची के अभ्यास का आनंद लिया. अपनी यात्रा के दूसरे दिन करीब आधा दर्जन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद नरेंद्र मोदी बीजिंग से शंघाई पहुंच गए हैं.
नई दिल्ली. पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन यात्रा का दूसरा दिन बीजिंग में बिताया. यहां उनके सामने भारत और चीन के बीच 63 हजार करोड़ रुपए निवेश के 24 करार पर दस्तखत हुए. मोदी ने चीनी प्रधानमंत्री के साथ बातचीत की, भारत-चीन के नेताओं के फोरम को संबोधित किया, शिन्हुआ यूनिवर्सिटी में सवालों के जवाब दिए और टेंपल ऑफ हेवन में योग और ताईची के अभ्यास का आनंद लिया. अपनी यात्रा के दूसरे दिन करीब आधा दर्जन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद नरेंद्र मोदी बीजिंग से शंघाई पहुंच गए हैं.
चीन के साथ हुए इन समझौतों पर अर्थशास्त्री बीबी भट्टाचार्य का कहना है कि समझौते तो हो गए हैं, लेकिन इस पर अमल हो ही जाएगा, यह निश्चित नहीं है. यह भारत सरकार पर निर्भर करेगा. चीन तभी निवेश करेगा जब उसे माहौल मिलेगा. जमीनी स्तर पर सर्वे करने के बाद चीन पूंजी निवेश करेगा. चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग पिछले साल भारत दौरे पर आए थे, तब भी कई समझौतों पर हस्तक्षातर हुए थे, लेकिन अभी तक निवेश नहीं हुआ है. चीन के पास 4 ट्रिलियन यूएस डॉलर रिजर्व है. वह इसे निवेश करना चाहता है. भारत का जीडीपी ग्रोथ सात फीसदी से ज्यादा है और निवेश के लिहाज से भारत से ज्यादा आकर्षक बाजार पूरे विश्व में नहीं है. लेकिन, भारत के ज्यादातर हिस्सों में जमीन, बिजली, सड़क, पानी, लेबर, इंटरनेट, लोकल गवर्नेंस की भारी दिक्कत है.
चीन अगर निवेश करेगा तो गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ही, क्योंकि इस तरह की दिक्कतें इन राज्यों में ज्यादा नहीं है. चीन पूर्वोतर के राज्यों में निवेश करने से हिचकेगा क्योंकि यहां बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं और सबसे बड़ी बात है इन इलाकों में मजदूर आंदोलन का खतरा भी ज्यादा रहता है. चीन माइनिंग, पोर्ट, रेलेवे, इंफ्रा में निवेश को इच्छुक है. चीन को बुलेट ट्रेन के क्षेत्र में महारत हासिल है, लेकिन सवाल है कि लोकल गवर्नमेंट से उम्मीद के मुताबिक सहयोग मिलेगा? बुलेट ट्रेन चलाने के लिए बड़े पैमाने पर जमीन की जरूरत होती है. बड़ा सवाल है कि जमीन अधिग्रहण आसानी से हो सकेगा? चीन में अब प्रोडक्शन महंगा हो रहा है. इसलिए वहां की कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं. भारत को इसका फायदा उठाना चाहिए.
इंडियन रेलवे को कितना फायदा मिलने वाला है:
– भारत में रेलवे को आधुनिक बनाने की मोदी सरकार की योजना को जापान, फ्रांस और चीन बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं. इसकी वजह यह है कि रेलवे अगले पांच साल में 137 अरब डॉलर का निवेश चाहता है.
– मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने के लिए मोदी जापान के साथ करार कर चुके हैं. अनुमान है कि 5 से 6 साल में 800 अरब रुपए की लागत से यह काम हो सकेगा लेकिन चीन इस मामले में जापान से आगे निकलना चाहता है. मोदी की यात्रा से पहले पिछले हफ्ते रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने मीडिया को बताया था कि कई समझौतों पर चीन से बातचीत चल रही है.
– जापान की दिलचस्पी जहां मुंबई-अहमदाबाद रूट पर है वहीँ चीन दिल्ली-चेन्नई के बीच 2000 किलोमीटर के प्रस्तावित हाई स्पीड कॉरिडोर में रुची दिखा रहा है. चीन यह भी चाहता है कि जब तक पूरी फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार हो, तब तक वह दिल्ली-आगरा रूट पर काम शुरू कर दे. इस कॉरिडोर पर 2500 अरब रुपए खर्च हो सकते हैं.
-25 अप्रैल को चीन के नेशनल रेलवे ब्यूरो के प्रतिनिधिमंडल ने भारत का दौरा किया था. ब्यूरो की वेबसाइट के मुताबिक चीन भारतीय रेलवे के किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में निवेश करने में दिलचस्पी रखता है.
IANS से भी इनपुट