गुजरात विधानसभा चुनाव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर कितने चुनावों में पाकिस्तान को घसीटकर वोट बनाएंगे ?

भारत और पाकिस्तान के भूतपूर्व क्लब की मणिशंकर अय्यर के घर हुई दावत में मनमोहन सिंह हों या हामिद अंसारी या खुर्शीद मोहम्मद कसूरी, सारे के सारे पूर्व हैं. किसी पद पर नहीं हैं. राजनीति ना होती तो ये भी कह सकते थे कि रिटायर्ड बुजुर्गों की बैठकी थी जो भारत और पाकिस्तान के संबंध सुधारने पर खाते-पीते कुछ बात कर रहे थे.

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गुजरात विधानसभा चुनाव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर कितने चुनावों में पाकिस्तान को घसीटकर वोट बनाएंगे ?

Aanchal Pandey

  • December 11, 2017 8:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के चुनाव के लिए जोर-शोर से प्रचार हो रहे हैं. पहले चरण की अपेक्षा दूसरे चरण में काफी उठापटक और ट्विस्ट नज़र आ रहा है. अभी तक लोग समझ रहे थे कि शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषण का तरीका बदल दिया और अब वो इधर-उधर की बातें नहीं करते. मगर इस चरण के आते-आते लोगों को मोदी जी का पुराना रंग-रूप दिख गया. लोकसभा चुनाव, बिहार चुनाव की तरह गुजरात के चुनाव में भी ‘पाकिस्तान’ की एंट्री हो गई. पीएम मोदी और बीजेपी 2014 से ही ‘पाकिस्तान’ को चुनावी बहस में घसीटकर चुनावी पताका लहराते आ रहे हैं. 

गुजरात में बीजेपी के खेवनहार मोदी ने पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिये एक बार फिर पाकिस्तान का राग अलापा. बनासकांठा के पालनपुर में एक चुनावी रैली में मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि गुजरात के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल सीमा पार पाकिस्तान से मदद से ले रहे हैं. पाकिस्तान में सेना और इंटेलीजेंस में उच्च पदों पर रहे लोग गुजरात में अहमद पटेल को सीएम बनाने चाहते हैं. तो इस तरह से मोदी जी ने गुजरात चुनाव में भी पाकिस्तान की एंट्री करवाई और उसे कांग्रेस के साथ खड़ा कर दिया. 

अगर ये बात देश का प्रधानमंत्री बोल रहा है तो ज़रूर इस बात में सच्चाई होगी. प्रधानमंत्री को अगर इंटेलीजेंस से ऐसी कोई सूचना मिली है तो क्या इसकी जांच नहीं करवानी चाहिए या फिर इस धमाकेदार सूचना का इस्तेमाल सिर्फ गुजरात चुनाव के लिए ही होगा. देश चला रही बीजेपी के नेता कहते हैं कि कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर के घर पर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद मोहम्मद कसूरी ने कांग्रेस नेताओं के साथ गोपनीय मीटिंग की और गुजरात चुनाव पर चर्चा की. सच्चाई सामने आ चुकी है कि उस मीटिंग में मनमोहन सिंह के अलावा हामिद अंसारी तो थे ही पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त रह चुके तीन-तीन राजनयिक, देश के पूर्व सेना प्रमुख दीपक कपूर समेत तमाम लोग थे. इस मीटिंग में जुटे लोगों की प्रोफाइल देखकर न्यूज और राजनीति और कूटनीति समझने वाला अदना आदमी भी कहेगा कि ये दोनों तरफ के पूर्व टाइप के लोगों का डिनर मीट था. ना तो कसूरी पाकिस्तान सरकार के प्रतिनिधि हैं, ना मंत्री हैं और ना उस मीटिंग में मौजूद कोई भारतीय नेता या अधिकारी इस वक्त सरकार या अफसरशाही में किसी पद पर है. इसके बाद भी अगर मीटिंग में कुछ साजिश हुई है बीजेपी या मोदी के खिलाफ तो सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी बार-बार भूल जाते हैं कि अब वो भाजपा के नेता बाद में हैं पहले इस देश की 125 करोड़ आबादी के प्रधानसेवक हैं.

ये बात भी एक सच के तौर पर उभरी है कि पाकिस्तान का नाम आते ही भारतीय वोटर भावनाओं में बहने लगते हैं. पाकिस्तान को हमने इस रूप में अपने अंदर भर लिया है कि उस नाम के सामने हम अपनी समस्याओं को भूल जाते हैं और पाकिस्तान के खिलाफ मुखर आवाज को अपना लेते हैं. 2014 के चुनावी भाषण में हर जगह पाकिस्तान की चर्चा देखने को मिली थी. दिक्कत ये नहीं कि प्रधानमंत्री ने चुनाव में पाकिस्तान का नाम लिया. दिक्कत ये है कि पाकिस्तान सरकार बयान जारी करके कहती है कि अपना चुनाव है, अपने नाम पर लड़ लो, हमारा नाम क्यों घसीट रहे हो. राज्य के चुनाव को अंतरराष्ट्रीय बयानबाजी के मोर्चे पर ले जाना कोई आसान काम नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी ने ये काम भी बड़ी आसानी से कर दिया है. जिन मनमोहन सिंह की पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री के साथ बैठने पर वो देशप्रेम और देशद्रोह की ज्योति जगाने की कोशिश कर रहे हैं, वो तो 10 साल प्रधानमंत्री रहते एक बार पाकिस्तान नहीं गए. हमारे मोदी जी ने शपथ में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को बुलाया और फिर एक दिन अचानक उनके घर भी पहुंच गए.

बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भाषण देने से ज्यादा ज़रूरी अहमद पटेल को पाकिस्तान से मिल रही मदद की जांच कराना है. अगर मणिशंकर अय्यर के घर बैठक में देश या देश के नेताओं के खिलाफ कोई साजिश हुई है तो उसकी जांच जरूरी है. गुजरात का चुनाव चार दिन में निपट जाएगा. बचा रह जाएगा गूगल पर ऐसा-वैसा बयान जिसे पढ़कर आने वाली पीढ़ी सिर पकड़ लेगी.

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(लेख में विचार व्यक्त लेखक के हैं और इनखबर का उससे सहमत होना जरूरी नहीं है.)

 

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