महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा अगर अपने सामान्य वजन से कम है तो ऐसे समय पर वियाग्रा ड्रग्स से बनी सिल्डेनाफिल नामक दवाई दी जाती थी. लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में यह बात गलत साबित हुई है.
नई दिल्ली: महिला की प्रेगनेंसी के दौरान अगर बच्चे का वजन सामान्य से कम है तो बच्चे की ग्रोथ बढ़ाने के लिए डॉक्टर मरीजों को वियाग्रा ड्रग्स से बनी दवाई लिखते हैं. लेकिन हाल ही में हुए एक नए शोध के अनुसार यह बात गलत साबित हुई है. शोध के मुताबिक, अगर गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पा रहा है और ऐसे में कोई डॉक्टर उसे वियाग्रा ड्रग्स से बनी सिल्डेनाफिल नामक दवाई लेने के लिए कहे तो शायद यह दवाई महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के रूके हुए विकास पर कोई असर नहीं करता है.
दरअसल, महिलाओं को गर्भवती होने के दौरान कई बार ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसमें गर्भ में पल रहा बच्चा अपने समान्य वजन से कम वजन का हो जाता है. आमतौर पर यह बीमारी खून के सही ढ़ंग से ना बहने की वजह से होती है. मेडिकल भाषा में इस बीमारी को आईयूजीआर कहा जाता है. बीते काफी समय से डॉक्टर इस बीमारी में खून के बहाव को बढ़ाने के लिए वियाग्रा ड्रग से बनी सिल्डेनाफिल नामक दवाई दे रहे हैं, क्योंकि इस दवाई को लेने पर खून का बहाव सही हो जाता है जिसके बाद बच्चे की ग्रोथ में सुधार आता है.
हालांकि, एक नए शोध में यह बात गलत साबित हुई है. शोधकर्ता के मुताबिक, हमे दुख के साथ कह रहे हैं कि इस ड्रग्स का गर्भवती महिलाओं पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. हालांकि, हम इस बीमारी का सही ढ़ग से इलाज ढ़ूढ़ने के यह शोध बरकरार रख रहे हैं. जिससे आने वाले भविष्य में ऐसी बीमारियों से आराम से निबटा जा सके. फिलहाल यह शोध उन 135 महिलाओं के उपर किया जा रहा है जिन्हें गर्भवती हुए अभी 30 हफ्तों से कम समय हुआ है.