वायुपुत्र पैराट्रूपर्स का ‘पराक्रम’, लड़े तो काम कुछ घंटों में खत्म

रेगिस्तान हो या फिर बर्फीली चोटियां, उफनती नदी हो या फिर जानलेवा जंगल. ये पवनपुत्र न रुकते हैं, ना थकते हैं, ना डरते हैं. ये आसमान से दुश्मनों पर कहर बनकर गिरते हैं और पलभर में उनका सफाया कर देते हैं. ये आधुनिक युद्ध की सबसे खतरनाक टुकड़ी है. जो दुश्मन के बड़े से बड़े इलाके को पलभर में खतरनाक टिड्डियों के दल की तरह चाट जाती है.

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वायुपुत्र पैराट्रूपर्स का ‘पराक्रम’, लड़े तो काम कुछ घंटों में खत्म

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  • May 1, 2016 7:52 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. रेगिस्तान हो या फिर बर्फीली चोटियां, उफनती नदी हो या फिर जानलेवा जंगल. ये पवनपुत्र न रुकते हैं, ना थकते हैं, ना डरते हैं. ये आसमान से दुश्मनों पर कहर बनकर गिरते हैं और पलभर में उनका सफाया कर देते हैं. ये आधुनिक युद्ध की सबसे खतरनाक टुकड़ी है. जो दुश्मन के बड़े से बड़े इलाके को पलभर में खतरनाक टिड्डियों के दल की तरह चाट जाती है.
 
पैराट्रूपर्स भारतीय सेना की वो इलिट फोर्स है जिसे जरुरत पड़ने पर सीधे दुश्मन के इलाके में भी उतर जाती है. भारतीय सेना के इन वायुपुत्रों पैराट्रूपर्स का इस्तेमाल सेना उन इलाकों पर भी करती है जो दुश्मन के हैं लेकिन वहां भारत विरोधी गतिविधियां चलती हैं.
 
PoK जैसे इलाकों के लिए पैरा ट्रूपर्स सबसे अचूक हथियार होते हैं, जो रात के अंधेरे में दुश्मन के इलाके में उतरते हैं फिर मचाते हैं ऐसी तबाही कि हिंदुस्तान की तरफ दोबारा आंख उठाकर देखने से पहले दुश्मन सौ बार सोचता है. पैरा ट्रूपर्स का पराक्रम साल 2015 में ही देखने को मिला था.
 
मई के महीने में मणिपुर में नगा आतंकियों ने भारतीय फौज पर घात लगाकर हमला कर दिया. जिसमें 18 भारतीय जवान शहीद हुए थे. हमला करने के बाद ये नगा आतंकी सीमा पार करके म्यांमार भाग गए थे. इस घटना के महज़ 2 दिन बाद ही पीएम मोदी ने कोवर्ट ऑपरेशन को हरी झंडी दी थी. उसके कुछ ही घंटों के अंदर रात के लगभग 3 बजे 21 पैरा कमांडो रेजिमेंट के 70 कमांडोज़ ने म्यांमार में घुसकर इन नगा आतंकियों को महज़ 40 मिनट के ऑपरेशन में मार गिराया था. 

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