भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका जीवन देशवासियों के लिए हमेशा आदर्श रहेगा. उनके जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. बाबा साहेब एक दूरदर्शी, आत्मविश्वास से भरपूर व्यक्ति थे.
नई दिल्लीः ये तो आप सभी जानते हैं कि हमारे देश को संविधान देने वाले डॉ भीमराव अंबेडकर थे। प्यार से उन्हें लोग बाबासाहेब कहकर पुकारते हैं। अपने समय में बाबा साहेब ने खराब आर्थिक स्थिति व सामाजिक भेद-भाव का सामना करते हुए बेहद कठिन हालात के बीच अपनी पढ़ाई की और कानून के जानकार बने। आज अंबेडकर की 61वीं पुण्यतिथि है. अंबेडकर उन चुनिंदा लोगों में से हैं जिनके विचार आज भी प्रभावित करते हैं. भले ही बाबा साहेब अपने जीवन में कोई चुनाव न जीत पाएं हों लेकिन आज भी हर पार्टी उनके नाम पर वोट जुटाने में लगी है. बाबा साहेब के जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता.
डॉ. भीमराव अंबेडकर बचपन से ही पढ़ने में तेज थे. वे हर चीज से अपडेट रहते थे जो उनके लिए सफलता की कुंजी बनीं. वह समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर हमेशा सजग रहते थे. उनका प्रयास रहता था कि कैसे समाज के लोगों के जीवन की बेहतरी के लिए काम कर सकें. बाबा साहेब की सबको साथ लेकर चलने की आदत हमें बहुत कुछ सिखाती है. सभी जाति, धर्म के प्रति एक सा व्यवहार करने वाले डॉ. अंबेडकर के जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. वहीं बाबा साहेब में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा था, उन्होंने जो भी किया पूरे विश्वास के साथ किया. जिस कारण उन्हें सफलता भी मिली.
15 साल की उम्र में सन 1906 में अंबेडकर की शादी नौ साल की रमाबाई से हुई थी. 1908 में वे एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लेने वाले पहले दलित बच्चे थे.बाबासाहेब एक दूरदर्शी व्यक्ति थे. भविष्य में कैसे क्या करना और उसका जीवन पर क्या प्रभाव होने वाला है वह यह सब सोचकर ही निर्णय लेते थे.
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