सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में तत्काल गिरफ़्तारी पर रोक के सुप्रीम के फ़ैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 498A यानि दहेज उत्पीड़न को लेकर कानून पहले से ही है, ऐसे में जांच कैसे की जाए और इसको लेकर गाइडलाइन बनाने का आदेश कैसे दे सकते है.
नई दिल्ली: दहेज उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि उन लोगों को गिरफ्तार न किया जाए जो केस से संबंधित न हो. कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि 498A यानि दहेज उत्पीड़न को लेकर कानून पहले से ही है, ऐसे में जांच कैसे की जाए और इसको लेकर गाइडलाइन बनाने का आदेश कैसे दे सकते है. सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें दहेज़ उत्पीड़न के मामलों में तत्काल गिरफ़्तारी पर रोक के सुप्रीम के फ़ैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है. मामले में अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते की जाएगी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि दहेज उत्पीड़न को लेकर परिवार के सभी सदस्यों की तत्काल गिरफ्तारी न हो. वहीं केंद्र सरकार में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वो कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है और विचार कर रही है की इसे लागू कैसे किया जाए और इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है दहेज़ उत्पीड़न के मामलों पर.
मानव अधिकार मंच नाम के NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की है कि कोर्ट को उस संबंध में दूसरी गाइड लाइन बनाने की जरूरत है क्योंकि कोर्ट के फैसले के बाद दहेज उत्पीड़न का कानून कमजोर हुआ है. याचिका में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि 2012 से 2015 के बीच 32,000 महिलाओं की मौत की वजह दहेज उत्पीड़न था.
बता दें कि इसी साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आईपीसी की धारा-498 ए यानी दहेज प्रताड़ना मामले में गिरफ्तारी सीधे नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दहेज प्रताड़ना मामले को देखने के लिए हर जिले में एक परिवार कल्याण समिति बनाई जाए और समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही गिरफ्तारी होनी चाहिए उससे पहले नहीं गिरफ्तारी नहीं हो सकती.
पद्मावती विवाद: दीपिका को नाक काटने की धमकी देने वाले BJP नेता सूरज पाल अम्मू ने दिया इस्तीफा