हरिवंश राय बच्चन जन्मदिन विशेष: उस दिन तो हरिवंश राय बच्चन खामोश रहे थे, गुस्से में ये सवाल पूछने के बाद अमिताभ भी खामोश खड़े रहे. जब काफी देर तक दोनों में कोई नहीं बोला को अमिताभ धीरे से उस स्टडी रूम से बाहर चले गए.
नई दिल्ली. एक बार अमिताभ बच्चन उसी दौर से गुजर रहे जिसमें यूथ परेशान हो जाता है कि करना क्या है, पहले पढ़ो, फिर जॉब ढूंढो, मन का कुछ करने को नहीं होता, कभी पैसे नहीं है, कभी कोई और दिक्कत है. उस वक्त बच्चन परिवार दिल्ली में रहता था। ऐसे में अचानक युवा अमिताभ फ्रस्ट्रेशन से भर गए और गुस्से में जा पहुंचे अपने पिता के पास, स्टडी रूम में और बोले- आखिर आपने हमें पैदा ही क्यों किया? थोड़ा आश्चर्य से हरिवंश राय बच्चन ने उनको देखा और देखते रहे, कुछ नहीं कहा, अमिताभ ने भी उनसे आगे कुछ नहीं कहा. उसके बाद बिना कहे हरिवंश राज बच्चन ने अपने बेटे को जो जवाब दिया, उसके बाद अमिताभ बच्चन की हिम्मत नहीं हुई कि वो कभी दोबारा ऐशा सवाल पूछ पाते.
उस दिन तो हरिवंश राय बच्चन खामोश रहे थे, गुस्से में ये सवाल पूछने के बाद अमिताभ भी खामोश खड़े रहे. जब काफी देर तक दोनों में कोई नहीं बोला को अमिताभ धीरे से उस स्टडी रूम से बाहर चले गए. रात भर अमिताभ भी गुस्से में कभी ग्लानि में करवटें बदलते रहे और सुबह सुबह जब वो गहरी नींद में थे तो उनके पिता उनके कमरे में आए, उन्हें जगाया और हाथ में एक कागज रखा और फिर बिना बोले चले गए, और वो कागज अभी तक अमिताभ ने संभाल कर रखा हुआ है. उस कागज पर एक कविता थी, जिसमें अमिताभ के सवाल का जवाब था, कविता का नाम था ‘नई लीक’ यानी नई जनरेशन आप भी पढिए…
जिंदगी और जमाने की कशमकश से घबराकर,
मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि हमें पैदा क्यों किया था?
और मेरे पास इसके सिवाय कोई जवाब नहीं है कि,
मेरे बाप ने मुझसे बिना पूछे मुझे क्यों पैदा किया था?
और मेरे बाप को उनके बाप ने बिना पूछे उन्हें और उनके बाबा को बिना पूछे,
उनके बाप ने उन्हें क्यों पैदा किया था?
जिंदगी और जमाने की कशमकश पहले भी थी, आज भी है शायद ज्यादा कल भी
होगी, शायद और ज्यादा…
तुम ही नई लीक रखना,
अपने बेटों से पूछकर उन्हें पैदा करना.
जितना ये दिलचस्प है, नई पीढ़ी के लिए उतनी ही गूढ़ भी. अमिताभ भले ही उस वक्त उतना बेहतरी से इसे नहीं समझ पाए थे, लेकिन अब जिस भी फंक्शन में बाप बेटे के रिश्ते की बात होती है, वो ये लाइनें पढ़कर सुना देतें हैं और ऑडियंस के हंसते हसंते पेट में बल पढ़ जाते हैं.