नई दिल्ली. कोहिनूर हीरे को वापस लाने को लेकर जनहित याचिका के सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह हीरे की वापसी की मांग नहीं कर सकते. सरकार ने दलील देते हुए कहा कि इसे उपहार के रूप में ब्रिटेन को दिया गया था. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 6 हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दायर इस मामले पर जवाब मांगा है.
इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए सॉलीसिटर जनरल ने यह साफ कर दिया कि यह दलीलें उनकी नहीं है, बल्कि वह संस्कृति मंत्रालय की रिपोर्ट को पढ़कर सुना रहे हैं.
‘कोहिनूर हीरा चोरी नहीं हुआ’
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा कि कोहिनूर को ब्रिटेन में लूटकर या छीनकर नहीं ले जाया गया था. इसलिए भारत सरकार इस पर दावा नहीं कर सकती. कोहिनूर हीरे को 1849 के सिख व ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुए युद्ध के बाद राजा दिलीप सिंह ने उपहार के रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया था. वह कोहिनूर हीरा मौजूदा समय में ब्रिटेन के राज मुकुट में लगा हुआ है. इसलिए उपहार में दिए हुए कोहिनूर हीरे पर भारत का दावा करना गलत है.
केंद्र सरकार की दलील
केंद्र सरकार ने कहा कि अगर हम कोहिनूर हीरे को वापस पाने के लिए अपना दावा करते हैं तो गलत होगा. क्योंकि कल को दूसरे वे तमाम मुल्क भी अपनी उन वस्तुओं की मांग भारत से करेंगे, जो भारत के विभिन्न संग्रहालयों में रखी हुई हैं.
वहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत ने कभी भी कोई उपनिवेश नहीं बनाया और न ही दूसरों की चीजों को अपने यहां पर छीन कर रखा.
6 हफ्ते में सरकार दायर करे हलफनामा : SC
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा है कि इस याचिका को इस वजह से खारिज नहीं किया जा सकता कि कुछ दूसरे मुल्कों को यह कहने का मौका न मिले कि आपकी सुप्रीम कोर्ट ने ही दावा खारिज कर दिया है. लिहाजा, केन्द्र सरकार छह सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर कर यह बताएं कि कोहिनूर को भारत वापस लाने के लिए अभी तक भारत सरकार की ओर से क्या प्रयास किए गए हैं और क्या कुछ किया जा सकता है.
कपिल मिश्रा का PM पर हमला
वहीं सरकार की इस दलील पर दिल्ली के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने हमला करते हुए ट्वीट किया है कि सरकार अपना बयान वापस ले. कपिल मिश्रा ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए लिखा है, ‘कोहिनूर से भारत का हक हमेशा हमेशा के लिए खत्म करने का निर्णय किस से पूछ कर लिया मोदी जी?’.