बीजिंग. चीन ने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र से पाबंदी लगवाने की भारत की कोशिश में अडंगा लगाने से दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास के बीच रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर शनिवार को रक्षा संबंध को मजबूत करने के लिए अपनी पहली चीन यात्रा पर शंघाई पहुंचे.
पिछले तीन सालों में चीन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय रक्षा मंत्री है. उनके पूर्ववर्ती ए के एंटनी ने 2013 में चीन की यात्रा की थी. अपनी इस चार दिवसीय यात्रा के दौरान उनकी शीर्ष चीनी नेताओं, रक्षा अधिकारियों और चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग से बातचीत करने की संभावना है.
भारत से लगी सीमा का करेंगे दौरा
अधिकारियों ने बताया कि अपनी इस यात्रा के दौरान वह चेंगडू सैन्य क्षेत्र कमान भी जायेंगे जो भारत के साथ लगती सीमा की देखभाल करती है. पर्रिकर एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ एयर इंडिया की नियमित उड़ान से पहुंचे. वह रविवार को शंघाई में भारतीय पेशेवरों की एक सभा को संबोधित करने के पश्चात बीजिंग जायेंगे. उनका सोमवार को शीर्ष चीनी रक्षा अधिकारियों के साथ बातचीत करने का कार्यक्रम है.
किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि पर्रिकर की यात्रा के दौरान किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना नहीं है, इस यात्रा का लक्ष्य रक्षा संबंध को मजबूत बनाना है. दोनों पक्षों ने 3488 किलोमीटर लंबी विवादास्पद सीमा पर अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा के लिए वास्तविक नियंत्रण के इर्दगिर्द एक मशविरा और समन्वय कार्य प्रणाली स्थापित की है. दोनों ओर के अधिकारी मानते हैं कि इससे तनाव कम करने में मदद मिली है. चीनी अधिकारियों के साथ उनकी वार्ता के तत्काल बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजित डोभाल की अपने चीनी समकक्ष अधिकारी यांग जीची के साथ 19 वें दौर की सीमा वार्ता होगी.
पठानकोट हमले की हो सकती है चर्चा
डोभाल और यांग सीमा वार्ता के लिए विशेष रूप से नियुक्त प्रतिनिधि हैं. उन्हें पूरे द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा का अधिकार मिला है. अजहर पर पठानकोट आतंकवादी हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र से पाबंदी लगाने की भारत की कोशिश में बाधा डालने के चीन के निर्णय पर भी उनकी बातचीत में चर्चा हो सकती है.