मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. इस चार्जशीट में 592 लोगों के नाम शामिल हैं. चार्जशीट में व्यापमं के पूर्व चार अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं. इतना ही नहीं, चार्जशीट में भोपाल के 4 प्राइवेट कॉलेजों के चेयरमैन के भी नाम हैं.
भोपालः मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले में सीबीआई ने गुरुवार को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. पीएमटी-2012 घोटाले में सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट में 592 लोगों के नाम शामिल हैं. सीबीआई की चार्जशीट में पूर्व व्यापमं अधिकारियों के भी नाम शामिल हैं. चार्जशीट में व्यापमं के तत्कालीन डायरेक्टर पंकज त्रिवेदी, तत्कालीन सीनियर सिस्टम एनालिस्ट नितिन मोहिंद्र, तत्कालीन डिप्टी सिस्टम एनालिस्ट अजय कुमार सेन और तत्कालीन प्रोगामर सीके मिश्रा का नाम शामिल है.
बताते चलें कि सीबीआई इससे पहले भी इस केस में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. इस बार दाखिल की गई चार्जशीट में 245 आरोपियों के नाम पहली बार शामिल किए गए हैं. चार्जशीट में भोपाल के 4 प्राइवेट कॉलेजों के चेयरमैन के नाम भी शामिल हैं. इनमें चिरायु मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन अजय गोयनका, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन एस.एन. विजयवर्गीय, भोपाल मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया और एलएन मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन जे.एन. चौकसे शामिल हैं.
चार्जशीट में 46 परीक्षा निरीक्षकों, 22 बिचौलियों, दो मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों और इस गोरखधंधे से जुड़े दो बड़े सरगनाओं के भी नाम हैं. गौरतलब है कि सीबीआई इस घोटाले में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पहले ही क्लीन चिट दे चुकी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और एक अन्य याचिकाकर्ता प्रशांत पाण्डेय ने शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाया था कि शिवराज को बचाने के लिए हार्ड डिस्क से छेड़छाड़ की गई है.
आरोप था कि व्यापमं के अधिकारी नीतीश मोहिंदर के कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क के साथ छेड़खानी की गई है. हार्ड डिस्क में छेड़छाड़ करते हुए 48 बार एक फाइल में से सीएम शब्द को हटाया गया है. प्रशांत पाण्डेय ने बाकायदा सबूत के तौर पर एक पेन ड्राइव भी सीबीआई को मुहैया कराई थी. सीबीआई ने इस पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा था लेकिन जांच में ऐसा कुछ नहीं पाया. सीबीआई ने व्यापमं केस की जांच के बाद इन मौतों में किसी तरह की साजिश से इनकार किया था. जांच में सीबीआई ने पाया कि 24 में से 16 लोगों की मौत आरोपी बनाए जाने से काफी पहले हो चुकी थी जबकि बाकी लोगों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई.