अंबेडकर जयंती पर रोहित वेमुला की मां और भाई अपनाएंगे बौद्ध धर्म

रोहित वेमुला की मां और भाई बाबासाहब भीमराव अंबेडकर जयंती पर बौद्ध धर्म अपना रहे हैं. रोहित की मां राधिका और भाई राजा मुंबई में धर्म परिवर्तन करेंगे. रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र थे. उन्होंने इस साल जनवरी में ख़ुदकुशी कर ली थी. उनकी आत्महत्या को विश्वविद्यालयों में दलित छात्रों के साथ भेदभाव के प्रतीक के तौर पर देखा गया.

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अंबेडकर जयंती पर रोहित वेमुला की मां और भाई अपनाएंगे बौद्ध धर्म

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  • April 14, 2016 3:01 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. रोहित वेमुला की मां और भाई आज अंबेडकर जयंती पर बौद्ध धर्म अपना रहे हैं. रोहित की मां राधिका और भाई राजा मुंबई में धर्म परिवर्तन करेंगे. रोहित वेमुला हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र थे. उन्होंने इस साल जनवरी में ख़ुदकुशी कर ली थी. उनकी आत्महत्या को विश्वविद्यालयों में दलित छात्रों के साथ भेदभाव के प्रतीक के तौर पर देखा गया.रोहित के भाई राजा वेमुला के भाई ने कहा कि ‘आंबेडकर जयंती पर मुंबई की आंबेडकर ट्रस्ट सोसाइटी में बौद्ध धर्म अपनाने का फ़ैसला किया है.’
 
रोहित के परिवार का कहना है कि “हिंदुओं के प्रति उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं है. भले रोहित को हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने परेशान किया हो, जिसका नतीजा उनकी आत्महत्या के तौर पर सामने आया.”
 
रोहित विश्वविद्यालय में शोध कर रहे थे. एक विवाद के बाद उनकी फ़ेलोशिप रोक दी गई थी. चार अन्य दलित छात्रों के साथ उन्हें हॉस्टल से निकाल दिया गया था. इस मामले पर विरोध के दौरान रोहित ने आत्महत्या कर ली थी.इसके बाद देशभर में राष्ट्रीयता के मुद्दे पर बहस शुरू हुई. वजह थी कि रोहित जिस अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य थे उसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के एक मंत्री ने राष्ट्रविरोधी बताया था.
 
रोहित के परिवार के बौद्ध धर्म अपनाने के पहले संकेत उनके अंतिम संस्कार के वक़्त मिले थे. रोहित का अंतिम संस्कार बौद्ध रीति से किया गया था. तब उनके भाई राजा ने कहा था कि रोहित ‘दिल से बौद्ध थे’. इसके बाद रोहित के दलित होने को लेकर विवाद शुरू हो गया था. इसमें कहा गया था कि रोहित की मां ने एक ग़ैरदलित व्यक्ति से शादी की थी.
 
रोहित की मां राधिका ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में कहा था कि उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश दलित कॉलोनी में दलित परंपराओं के मुताबिक़ की है. डॉ. आंबेडकर ने भी बौद्ध धर्म अपनाया था. उनका मानना था कि बौद्ध धर्म लोगों के बीच भेदभाव नहीं करता और सबको आत्मसात कर लेता है.

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